Adda Education के संस्थापक और सीईओ अनिल नागर ने हाल ही में अपनी एक आंतरिक बैठक से जुड़ा अनुभव साझा कर लीडरशिप को लेकर गहरी समझ पेश की है। उन्होंने बताया कि एक बैठक में वह जानबूझकर केवल अवलोकनकर्ता की भूमिका में रहे। न कोई निर्देश दिया, न चर्चा को दिशा दी और न ही किसी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
- मौन में टीम का वास्तविक स्वरूप सामने आया
जयपुर. AddaEducation के संस्थापक और सीईओ अनिल नागर ने हाल ही में अपनी एक आंतरिक बैठक से जुड़ा अनुभव साझा कर लीडरशिप को लेकर गहरी समझ पेश की है। उन्होंने बताया कि एक बैठक में वह जानबूझकर केवल अवलोकनकर्ता की भूमिका में रहे। न कोई निर्देश दिया, न चर्चा को दिशा दी और न ही किसी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। आमतौर पर जिनसे मार्गदर्शन की अपेक्षा की जाती है, उनकी इस खामोशी ने कमरे में एक अलग ही तस्वीर उभार दी।
नागर के अनुसार, इस मौन में टीम का वास्तविक स्वरूप सामने आया। बिना किसी आदेश के यह स्पष्ट हो गया कि कौन लोग निर्देशों और स्वीकृतियों का इंतजार करते हैं और कौन पहल कर निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि जब लीडर लोगों को बताते हैं कि क्या करना है, तब वे अपनी असली क्षमता नहीं दिखा पाते। लेकिन जब लीडर पीछे हटता है, तभी टीम के सदस्य अपनी सोच, जिम्मेदारी और ओनरशिप को उजागर करते हैं।
नेतृत्व अंतर्ज्ञान से बनता है...
नागर का मानना है कि AddaEducation में लीडरशिप का विकास एक स्वाभाविक प्रक्रिया है—शैडो से को-लीड, फिर लीड और अंततः ओनर तक। उनके अनुसार, वास्तविक नेतृत्व किसी पद या हेरार्की से नहीं, बल्कि मानसिकता, अंतर्ज्ञान और पहल से बनता है। समय के साथ वही लोग संगठन की रीढ़ बनते हैं जो आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेते हैं।
पहले सोच में संस्थापक होना
नागर के लिए लीडरशिप का अर्थ है पद से पहले सोच में संस्थापक होना, केवल कार्य नहीं बल्कि परिणामों की ओनरशिप लेना और तब भी पूरी लगन से काम करना जब कोई देखने वाला न हो। अपनी पोस्ट के अंत में उन्होंने युवा पेशेवरों और स्टार्टअप टीमों को प्रेरित करते हुए कहा—“आइए, निर्माण करते रहें। आइए, विश्वास करते रहें।