जयपुर

Maharana Pratap Jayanti: महाराणा प्रताप आत्मसम्मान व देशभक्ति की बेजोड़ मिसाल थे

Maharana Pratap Jayanti Today : महाराणा प्रताप की जयंती आज राजस्थान सहित पूरे देश में मनाई जा रही है। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा महाराणा प्रताप महान योद्धा और आत्मसम्मान व देशभक्ति की बेजोड़ मिसाल थे।

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महाराणा प्रताप (फाइल फोटो-पत्रिका)

वासुदेव देवनानी
गेस्ट राइटर, (राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष)
Maharana Pratap Jayanti Today :
ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया (29, मई 2025) महाराणा प्रताप जयंती पर विशेष। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा महाराणा प्रताप महान योद्धा और आत्मसम्मान व देशभक्ति की बेजोड़ मिसाल थे। उनका जीवन सिखाता है कि स्वाभिमान व स्वतंत्रता के लिए संघर्ष अमर रहता है। उनकी नीतियां शिवाजी महाराज के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं, वहीं वीर सावरकर, बाल गंगाधर तिलक और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता भी प्रभावित थे। हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप की युद्ध शैली को भारत-पाकिस्तान के संदर्भ में भी देखा और परखा गया।

आत्मसम्मान की कीमत पर संधि मंजूर नहीं

महाराणा प्रताप का जीवनकाल भले सोलहवीं सदी में रहा, लेकिन आदर्श अमर और प्रासंगिक हैं। उन्होंने 1576 के हल्दीघाटी युद्ध के बाद मुगलों के विरुद्ध दिवेर युद्ध (1582 ) विजय कर दिखा दिया कि कितनी भी बड़ी शक्ति हो, सच्चे संकल्प और स्वतंत्रता के जज़्बे को पराजित नहीं कर सकती। उन्होंने नेतृत्व का ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया कि खुद भूखे रहे लेकिन प्रजा को सुरक्षित रखा। उन्होंने भले राजनीतिक रूप से मुगल सम्राट अकबर के साम्राज्य को चुनौती दी, लेकिन असली युद्ध सिद्धांतों को जिंदा रखने का था। महाराणा प्रताप की सोच थी ‘‘राजा वही जो स्वतंत्र रहे, न कि वह जो नाम का राजा हो।’’ अकबर के संधि प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिखा दिया कि आत्मसम्मान की कीमत पर संधि मंजूर नहीं।

राष्ट्रप्रेम के लिए प्रेरित करते हैं गीत

राजस्थान के लोकगीतों, कहावतों और कहानियों में महाराणा प्रताप की वीरता अमर है। पाठ्यक्रमों में उनका जीवन नेतृत्व, संकल्प और नैतिकता की शिक्षा देने के लिए शामिल किया। ’ऊंचो थारो नाम रे मेवाड़ रा राणा’ जैसे गीत सभी को राष्ट्रप्रेम के लिए प्रेरित करते है।

अंग्रेजी तिथि 9 मई को मनाई जाती है महाराणा प्रताप की जयंती

भारत में महाराणा प्रताप की जयंती अंग्रेजी तिथि 9 मई को और हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया को श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। मेरे शिक्षामंत्री काल में स्कूल पाठ्यक्रम में अकबर महान के स्थान पर महाराणा प्रताप महान और अन्य महापुरुषों के अध्याय शामिल कराए।

हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप की युद्ध शैली आज भी प्रासंगिक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑपरेशन सिन्दूर की ऐतिहासिक कामयाबी के बाद आदमपुर एयरबेस पर सैनिकों को संबोधन में चेतक के लिए लिखी गई पंक्तियों का जिक्र कर कहा कि ’कौशल दिखलाया चालों में, उड़ गया भयानक भालों मेंज्राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था’ , ये बात आज के भारतीय हथियारों पर फिट बैठती हैं। उनका इशारा साफ था कि भारत की टेक्नोलॉजी, रणनीति और सेना सिर्फ ‘रक्षात्मक’ नहीं, बल्कि ‘आक्रामक रक्षा’ की नई परिभाषा बन गई है। इतिहासकारों ने महाराणा प्रताप को हिंदुआ सूरज के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने केवल तलवार-भाले की धार से नहीं, बल्कि आत्मबल, संकल्प, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से इतिहास में विशिष्ट स्थान बनाया। नई पीढ़ी को महाराणा प्रताप के आदर्शों को आत्मसात करने की शिक्षा लेनी चाहिए। यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Updated on:
29 May 2025 10:05 am
Published on:
29 May 2025 08:43 am
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