जयपुर

जयपुर में बिजली गुल! डिस्कॉम की लापरवाही से कोड का उड़ा मज़ाक,जानें पूरा मामला

डिस्कॉम अधिकारी स्वयं डिस्ट्रीब्यूशन कोड-2016 और द सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी रेगुलेशन-2023 की पालना करना भूल चुके हैं।

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Jul 05, 2025
जयपुर में बिजली गुल की समस्या, पत्रिका फोटो

जयपुर डिस्कॉम प्रबंधन के पास जयपुर शहर में लगातार हो रही बिजली गुल की समस्या से निजात दिलाने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन कोड-2016 की व्यवस्था है। यदि बिजली ठेकेदारों के कर्मचारियों के भरोसे न रहकर इस कोड का सही तरीके से पालन किया जाए, तो शहर में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है और लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। लेकिन स्थिति यह है कि, डिस्कॉम अधिकारी स्वयं डिस्ट्रीब्यूशन कोड-2016 और द सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी रेगुलेशन-2023 की पालना करना भूल चुके हैं।

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क्या है डिस्ट्रीब्यूशन कोड-2016

डिस्कॉम ने 33 केवी फीडर पर लगे पावर ट्रांसफॉर्मरों के प्रति घंटे, प्रतिदिन और प्रत्येक माह नियमित रखरखाव को लेकर डिस्ट्रीब्यूशन कोड-2016 तैयार किया था। इसके अनुसार, इंजीनियरों को ट्रांसफॉर्मरों की निगरानी केवल ठेकेदारों के भरोसे नहीं छोडऩी चाहिए, बल्कि स्वयं को भी निगरानी करनी चाहिए, ताकि समय रहते संभावित बाधा को पहचाना जा सके।

रेगुलेशन-2023: सर्टिफिकेट तक नहीं

यह भी सामने आया है कि, शहर में ‘द इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (मेजरमेंट, सेटी रिलेटेड एंड इलेक्ट्रिक सप्लाई) रेगुलेशन-2023’ की पालना भी नहीं हो रही है। नियमों के अनुसार, 33 केवी ग्रिड स्टेशन पर कार्य करने वाले लाइनमैन के पास इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर की ओर से जारी सर्टिफिकेट अनिवार्य है। इसी प्रकार सहायक और कनिष्ठ अभियंता के पास भी यह प्रमाणपत्र होना आवश्यक है, लेकिन वर्तमान में इसकी अनदेखी की जा रही है।

इंजीनियरों की ये जिम्मेदारी

प्रतिदिन ट्रांसफॉर्मर ऑयल का गेज, आवाज और प्रेशर जांचना
सभी कनेक्शन की जांच करना
प्रत्येक महीने रबर सील और रिले की जांच, ट्रांसफॉर्मर की कूलिंग व्यवस्था

फायर फाइटिंग सिस्टम की जांच

प्रति घंटे…
ट्रांसफॉर्मर की वाइंडिंग और ऑयल का तापमान जांचना
वाइंडिंग का तापमान 85 डिग्री और ऑयल का 75 डिग्री सेंटिग्रेड होते ही एचटीएम इंजीनियर को सक्रिय होना चाहिए
वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की जांच करना

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Updated on:
05 Jul 2025 08:27 am
Published on:
05 Jul 2025 08:19 am
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