Forts Of Rajasthan: राजस्थान अपनी शाही विरासत, भव्य किलों और शानदार स्थापत्य कला के लिए दुनियाभर में मशहूर है। अगर आप इतिहास और वास्तुकला के शौकीन हैं तो ये 10 जगहें जरूर आपकी यात्रा सूची में होनी चाहिए।
Rajasthan Tourist Places: राजस्थान की सुंदरता और वीरता की कहानियां हर किसी को लुभाती हैं। साथ ही ये किलों, महलों और हवेलियों के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। यहां का हर शहर इतिहास, शौर्य और कला का जीवंत उदाहरण है। अगर आप भी राजस्थान घूमने आ रहे हैं या वास्तुकला, इतिहास में रुचि रखते हैं तो इन 10 अद्भुत जगहों को अपनी ट्रैवल लिस्ट में जल्दी से शामिल कर लें।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में घूमने लायक काफी जगह है, जिसमें आमेर का किला बहुत खास है। ये राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का शानदार संगम है। लाल और पीले बलुआ पत्थर से बना यह किला पहाड़ी पर स्थित है और नीचे माओटा झील इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती है। वहीं, शीश महल की चमकदार दीवारें और हर शाम होने वाला ‘लाइट एंड साउंड शो’ इस किले को देखने लायक बनाते हैं। यहां स्थित शिला देवी के मंदिर में भक्त दूर-दराज से अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं।
जयपुर के पास स्थित चांद बावड़ी दुनिया की सबसे गहरी बावड़ी है। राजस्थान की सुंदर बावड़ियों में से एक चांद बावड़ी में 3500 से ज्यादा सीढ़ियां हैं। 13 मंजिला ये बावड़ी 100 फीट से भी ज्यादा गहरी है। इसे भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है।
‘पैलेस ऑफ विंड्स’ कहलाने वाला यह महल अपनी 953 खिड़कियों की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध है। महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इसे 1799 में बनवाया था, ताकि शाही महिलाएं शहर का नजारा देख सकें। लेकिन उन्हें कोई नहीं देख पाए। ये राजस्थान का सबसे अनोखा महल है।
विश्व धरोहर सूची में शामिल जयपुर की ये वेधशाला महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में बनवाई थी। यहां पत्थरों से बने 19 वैज्ञानिक उपकरण हैं, जो आज भी समय बताने, ग्रहों और तारों की स्थिति मापते हैं। यहां दुनिया की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी भी है, जिसे ‘सम्राट यंत्र’ के नाम से जाना जाता है।
झीलों की नगरी उदयपुर बेस्ट टूरिस्ट प्लेस है। यहां लेक पिछोला के किनारे स्थित सिटी पैलेस 400 सालों में बना। यहां की कला टूरिस्ट को आकर्षित करती हैं। यहां मेवाड़ राजपरिवार भी रहता है और शहर का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला टूरिस्ट प्लेस सिटी पैलेस ही है।
राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित जूनागढ़ किला 1589 में राजा राय सिंह ने बनवाया था। ये किला शाही इतिहास का एक शानदार उदारहण है। इसे कोई से भी युद्ध में शत्रु नहीं जीत पाए इसलिए ये आज भी अपनी पहले जैसी अवस्था में है। इस किले में एक मंदिर भी है, जिसमें 756 हिन्दू देवताओं की की मूर्तियां रखी है। जो 300 साल पहले दक्षिण भारत से लाए थे।
शेखावाटी की शान पोद्दार हवेली अद्भुत भित्तिचित्रों और वास्तुकल के लिए जानी जाती है। 18वीं सदी में बनी इस हवेली में भगवानों से लेकर ब्रिटिश अफसरों तक की कहानियां चित्रों में उकेरी गई हैं। ये एक प्रकार का संग्रहालय है, जिसमें मुगलकालीन चित्रों, आभूषणों और स्थानीय शिल्पकला को संभाल कर रखा है।
जैसलमेर की पटवों की हवेली को ‘पत्थरों की कढ़ाई’ भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें बारीक नक्काशी और सोने जैसी चमकदार रेत पत्थर की दीवारें हैं। ये 19वीं सदी की कलाकृति है और 5 अलग-अलग हवेलियों का एक समूह है। इसका निर्माण बिना सीमेंट और लोहे के सिर्फ पीले बलुआ पत्थर से किया है।
जोधपुर की सबसे ऊंची चोटी चित्तर हिल पर स्थित उम्मेद भवन राजस्थान के सबसे भव्य महलों में से एक है। इसका निर्माण 1928 से 1943 के बीच महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। इसे बनाने में 14 साल लगे थे। ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी वॉन लॉन्चेस्टर ने इसे डिजाइन किया था। बलुआ पत्थरों से इसका निर्माण हुआ है, जो ताजमहल के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं। जब जिले में अकाल पड़ा तो रोजगार मिल सके, इसलिए महाराजा ने इसका निर्माण करवाया था। ये न केवल जोधपुर की शाही विरासत का प्रतीक है, बल्कि वास्तुकला और ऐतिहासिक कला का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
राजस्थान की ब्लू सिटी में 400 फीट ऊंचाई पर स्थित मेहरानगढ़ किला पूरे जोधपुर का शानदार व्यू दिखता है। ये किला 1459 में राव जोधा ने बनवाया था। इसकी दीवारें भी 36 मीटर ऊंची हैं और अंदर फूल महल, मोती महल और शीश महल जैसी कई इमारतें बनी हुई हैं।