जयपुर के दोनों नगर निगम का कार्यकाल 9 नवम्बर को समाप्त हो जाएगा। 10 नवम्बर से शहरी सरकार पुरानी राह पर लौट आएगी। यानी एक शहर में एक ही नगर निगम होगा। जयपुर नगर निगम फिर से अस्तित्व में आ जाएगा।
Jaipur Municipal Corporation: राजधानी जयपुर के दोनों नगर निगम का कार्यकाल 9 नवम्बर को समाप्त हो जाएगा। 10 नवम्बर से शहरी सरकार पुरानी राह पर लौट आएगी। यानी एक शहर में एक ही नगर निगम होगा। जयपुर नगर निगम फिर से अस्तित्व में आ जाएगा। अतिरिक्त नगर निगम बनाने से हैरिटेज निगम पर सालाना 100 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ा, जो पूरे कार्यकाल में 500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वहीं, विकास कार्यों पर दोनों नगर निगमों ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। सीमित बजट होने के कारण पार्षद लगातार विकास कार्यों के लिए बजट राशि की मांग करते रहे।
मौजूदा बोर्ड इतिहास में दर्ज हो गया। शहर में दो नगर निगम का प्रयोग विफल साबित हुआ। हालांकि, इसे भविष्य में एक प्रयोग के रूप में याद किया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2009 में कांग्रेस सरकार ने महापौर का चुनाव सीधे जनता से करवाया था। नागरिकों ने अपने वोट से महापौर चुना था। लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद इस निर्णय को वापस ले लिया गया।
फ्लाईओवर के नीचे स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाए गए, जिससे आस-पास की कॉलोनियों को खेलकूद की जगह मिली।
राजस्थान विश्वविद्यालय के सामने पहली ई-लाइब्रेरी शुरू की गई।
मालवीय नगर के वार्ड-133 में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अटल क्लब की शुरुआत।
वर्षों से लंबित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट निगम के प्रयासों से चालू हुआ, अब यहां कचरे से बिजली बन रही है।
सीएनडी वेस्ट प्लांट भी चालू हो गया है, जिससे सड़क किनारे मकानों का मलबा अब नजर नहीं आएगा।
एमआरएफ प्लांट भी जल्द शुरू होगा, जहां मिश्रित कचरा अलग-अलग किया जाएगा और पुन: उपयोग संभव होगा।
पार्क: बच्चों के लिए झूले और ओपन जिम की मांग प्रमुख रही।
स्ट्रीट लाइट्स: दिवाली तक भी कई पार्षद लाइट का इंतजार करते रहे।
सफाईकर्मी: कई वार्डों में केवल 5 से 10 सफाईकर्मी ही तैनात रहे।
प्रश्न: अपने कार्यकाल को आप किस तरह से देखती हैं?
जवाब: सरकार और संगठन के विश्वास से कार्यवाहक महापौर बनी। मेरा कार्यकाल 14 माह का रहा। मेरी कोशिश अधिक से अधिक विकास कार्य करवाने की रही। सफाई पर विशेष फोकस किया। प्लांट्स चालू करवाए। तभी हैरिटेज निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण में अब तक का बेहतर प्रदर्शन किया।
प्रश्न: वे काम जो कुर्सी पर रहते हुए नहीं कर पाई, जिनका मलाल रहेगा?
जवाबः परकोटे में सुव्यवस्थित पार्किंग मेरी प्राथमिकता में थी। वहीं, ई-रिक्शा को व्यवस्थित करना चाहती थी। लेकिन, कई विभागों में सामंजस्य नहीं बन पाने के कारण योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई।
प्रश्न: अपने कार्यकाल को आप किस तरह से देखती हैं?
जवाब: हमने पारदर्शिता, स्वच्छता, स्वास्थ्य और हरित विकास को अपनी प्राथमिकताओं में रखा। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, प्लास्टिक मुक्त अभियान और नागरिक सहभागिता को बढ़ाकर शहर की स्वच्छता रैंकिंग में अहम सुधार हुआ। इससे शहर की सोच और व्यवहार में भी बदलाव आया। स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए शक्ति वंदन', 'योगा इन पार्क' शुरू किए।
प्रश्न: वे काम जो कुर्सी पर रहते हुए नहीं कर पाए, जिनका मलाल रहेगा।
जवाबः शहर का विकास एक सतत प्रक्रिया है, विकास में सबकी भागीदारी सबका प्रयास रहता है। इसलिए मलाल जैसा कुछ नहीं है।
ग्रेटर निगम की ओर से 9 नवम्बर को जेएलएन मार्ग स्थित इंदिरा गांधी पंचायती राज भवन में सम्मान समारोह होगा। इसमें पर्यावरण और योग के क्षेत्र में कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाएगा। तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए शनिवार और रविवार को भी निगम मुख्यालय खुलेगा। इससे पहले महापौर विकास कार्यों को लेकर समीक्षा बैठक करेंगी।