राजस्थान में खजूर की खेती किसानों के लिए लाभ का बेहतर विकल्प बन रही है। विटामिन और खनिजों से भरपूर खजूर गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छी पैदावार देता है। टिश्यू कल्चर पौधों से तीसरे वर्ष से ही फल मिलने लगते हैं।
जयपुर: खजूर के फल में विटामिन ए-बी और कार्बोहाइड्रेट खनिज लवणों की प्रचुरता होती है। यह पाचन शक्ति बढ़ाता है। यह हीमोग्लोबीन की कमी और कई बीमारियों से बचाता है। रेगिस्तान के उच्च तापमान और कम वर्षा खेती के लिए अनुकूल है।
खजूर के लिए उपजाऊ, अच्छे जल निकास और 7-8 पीएच मान बाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। ऊपरी दो मीटर मृदा कठोरता और कंकड़ रहित हो। खजूर को लंबी गर्म शुष्क ग्रीष्म ऋतु, मध्यम सर्द ऋतु और फल पकते समय (जुलाई-अगस्त) वर्षा रहित जलवायु चाहिए।
तापमान 25 एवं 40 डिग्री होना चाहिए। फूल आने से पहले और फलों के पकने तक खजूर को अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है।
खजूर के प्रति हेक्टेयर 148 मादा पौधे व 8 नर पौधों की सहित कुल 156 पौधों की आवश्यकता रहती है। इसके पौधों में ड्रिप पद्धति से सिंचाई करें। पौधों की वृद्धि एवं फल प्राप्त करने के लिए भूमि में न्यूनतम दो फीट गहराई तक नमी रहनी चाहिए।
इसकी मादा किस्में बरही, खुनैजी, मेडजूल, खलास, खद्रावी, सगई, जामली, अजवा, नाबुत सुल्तान एवं हलवा हैं। वहीं, नर किस्में अल-इन-सिटी व घनामी हैं।
खजूर में फल आने में लगभग चार वर्ष का समय लगता है। टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों में तीसरे वर्ष से ही फल आने लगते हैं। दस वर्ष की आयु के वृक्षों से प्रति वृक्ष औसतन 80 किलो डोका फलों की उपज होती है, जो 15 वर्ष के वृक्षों से लगभग 100 से 200 किलो तक हो जाती है।
छुहारा बनाने के लिए पूर्ण डोका फलों को जल से धोने के बाद 5-10 मिनट गर्म पानी में उबालकर 45-50 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर वायु संचारित भट्टी में 70-95 घंटे के लिए सुखाते हैं।
राज्य में फल पकने के समय वर्षा प्रारंभ हो जाने से पेड़ पर पूर्ण परिपवता प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए फलों के गुच्छों को डोका (आंशिक रूप से पीला/लाल) अवस्था में ही पेड़ों से काट लें। कम वर्षा वाले क्षेत्र में भी तुड़ाई प्राय: डांग (अर्ध पक्का) अवस्था में की जाती है। छुहारा बनाने के लिए भी डोका अवस्था में ही तोड़ा जाता है।
पके हुए खजूर फलों को टोकरियों में 5.5-7.2 डिग्री तापक्रम पर और 85-90 फीसदी आपेक्षिक आर्द्रता में शीतगृह में 2 सप्ताह तक भंडारित कर सकते हैं। छुहारों को 1 से 11 डिग्री तापक्रम व 65-70 प्रतिशत सापेक्षित आर्द्रता में 13 महीने भंडारित कर सकते हैं। किसान प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर 2 लाख रुपए का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पके हुए खजूर फलों को टोकरियों में 5.5-7.2 डिग्री तापक्रम पर और 85-90 फीसदी आपेक्षिक आर्द्रता में शीतगृह में 2 सप्ताह तक भंडारित कर सकते हैं। छुहारों को 1 से 11 डिग्री तापक्रम व 65-70 प्रतिशत सापेक्षित आर्द्रता में 13 महीने भंडारित कर सकते हैं। किसान प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर 2 लाख रुपए का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
बी.आर. कड़वा, से.नि. संयुक्त निदेशक, उद्यान विभाग, जयपुर