
महिलाएं खेती की नई तकनीक से कमा रहीं लाखों रुपए (फोटो- पत्रिका नेटवर्क)
Rajasthan farmers: राजस्थान में टोंक जिले के 69 गांवों में महिलाओं की मेहनत और नई तकनीक का संगम अब एक मिसाल बन गया है। यहां करीब 5,800 महिला किसान लुई ड्रेफस फाउंडेशन और Centre for microFinance की साझेदारी से चल रहे 'सस्टेनेबल इनकम एन्हांसमेंट एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी प्रोग्राम' के जरिए न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं। बल्कि उन्होंने खेती के क्षेत्र में नई पहचान भी बनाई है।
बता दें कि इस कार्यक्रम ने टोंक की ग्रामीण महिलाओं को खेती की पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़ाकर वैज्ञानिक और टिकाऊ कृषि की दिशा में अग्रसर किया है। पहले जहां महिलाएं सीमित संसाधनों और पारंपरिक तरीकों पर निर्भर थीं।
वहीं, अब वे बेहतर बीज, जैविक खाद, ड्रिप सिंचाई और जल-संरक्षण तकनीक जैसी आधुनिक विधियों का उपयोग कर रही हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि सरसों की पैदावार में लगभग 80 प्रतिशत और चना उत्पादन में 140 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है।
फाउंडेशन और CmF द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं की आमदनी बढ़ाने, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने और पोषण सुधारने पर केंद्रित है। परियोजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रशिक्षण, कृषि प्रदर्शन, मिट्टी स्वास्थ्य जांच और रसोई बगीचों की स्थापना जैसी पहलें की गईं। अब महिलाएं अपने घरों में पोषक सब्जियां उगाकर परिवार को ताजा भोजन उपलब्ध करा रही हैं, जिससे स्वास्थ्य और पोषण स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
इस पहल ने महिलाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को भी नई उड़ान दी है। पहले जो महिलाएं खेती में केवल सहायक भूमिका निभाती थीं, वे अब खुद निर्णय ले रही हैं, बाजार तक अपनी उपज बेच रही हैं और स्थानीय स्तर पर अन्य महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं।
किसानों की आय बढ़ाना, जीवन स्तर सुधारना और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना। टोंक का यह उदाहरण दर्शाता है कि जब सही सहयोग, प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन मिलता है, तो महिलाएं खेती में भी सफलता की नई ऊंचाइयां हासिल कर सकती हैं।
बताते चलें, यह पहल न केवल टोंक की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती दे रही है। बल्कि पूरे राजस्थान के लिए एक प्रेरक मॉडल बन गई है कि महिलाएं भी कृषि परिवर्तन की असली वाहक बन सकती हैं।
Published on:
13 Nov 2025 02:36 pm
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