Contempt Cases : राजस्थान सहित देशभर में अदालती आदेशों की पालना नहीं हो रहा है। सात हजार से अधिक राजस्थान की शीर्ष अदालत (हाईकोर्ट) में हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में साल दर साल दर्ज होने वाले अवमानना के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
शैलेन्द्र अग्रवाल
Contempt Cases : राजस्थान सहित देशभर में अदालती आदेशों की पालना नहीं होने के 1.43 लाख से अधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें से 1850 से अधिक देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) में और सात हजार से अधिक राजस्थान की शीर्ष अदालत (हाईकोर्ट) में हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में साल दर साल दर्ज होने वाले अवमानना के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।अवमानना के ज्यादातर मामले सरकार के खिलाफ होते हैं। लंबे समय से अवमानना के मामले में किसी को सजा तो नहीं हुई, लेकिन कोर्ट के सख्ती दिखाने पर अदालती आदेश की पालना हो जाती है।
इनमें कुछ तो ऐसे भी हैं, जिनमें हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई और वहां से राहत नहीं मिलने पर भी हाईकोर्ट के आदेश की पालना नहीं हुई।
केस मेरिट पर तय करने के बजाय अभ्यावेदन देने का आदेश कर दिया जाता है। अवमानना की व्यवस्था को पालना कराने का हथियार बना लिया, जबकि वह सजा के लिए है और सजा होती नहीं। कोर्ट आदेश कीो पालना का मैकेनिज्म होना चाहिए। मैंने 2009 में आदेश दिया था कि सिविल प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत रिट में दिए आदेश की पालना हो।
गोविन्द माथुर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट
सरकार में कोई कोर्ट के आदेश मानता नहीं। कोर्ट किसी को जेल भेजती नहीं है। हर पक्षकार को दो बार कोर्ट जाना पड़ता हैं। पहली बार न्याय के लिए, दूसरी बार अदालती आदेश की पालना के लिए। मप्र में सख्ती है। राजस्थान में विधि विभाग की कमजोरी इसका कारण है। मेरे समय मैं सीधे मुख्यमंत्री स्तर पर बात करता था और एक बार विधि अधिकारियों की बैठक बुलाकर पहल की।
जीएस बापना, पूर्व महाधिवक्ता
देशभर में कुल - 1,43,573
सुप्रीम कोर्ट - 1852
राजस्थान - 7,148
बॉम्बे - 9,394
उड़ीसा - 10,663
मध्यप्रदेश - 10,892
तेलंगाना - 13,957
आंध्रप्रदेश - 15,679
इलाहाबाद - 24,376
कलकत्ता - 24,886।
2020 - 331
2021 - 409
2022 - 789
2023 - 1229
2024 - 2195
2025 मई तक - 1107
लम्बित मामले - 6,1,5726।