जीएसटी दर घटने से हस्तशिल्प निर्यातकों को घरेलू बाजार में अवसर मिलेंगे, हालांकि अमेरिकी टैरिफ से हुई क्षति की भरपाई नहीं होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि नए बाजार तलाशने व उपभोक्ता पसंद अनुसार उत्पाद बनाने से उद्योग को मजबूती मिलेगी।
जयपुर: हस्तशिल्प और परिधान निर्यातकों ने कहा है कि जीएसटी दरों में कटौती से उन्हें घरेलू बाजार में कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ के प्रभावों की भरपाई पूरी तरह नहीं कर पाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी में कमी से कुछ निर्यातक नुकसान से बच सकेंगे, बशर्ते वे तेजी से घरेलू बाजार में अपनी पकड़ बना लें। वहीं, अन्य निर्यातकों को अमेरिकी बाजार से हुई कमी को पूरा करने के लिए वैकल्पिक देशों में अवसर तलाशने होंगे।
पूर्व निर्यात प्रोत्साहन परिषद (हस्तशिल्प) के अध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा, अब जरूरी है कि भारत, जो 140 करोड़ उपभोक्ताओं का देश है, उसे आधार माना जाए और निर्यात को बोनस समझा जाए। उद्योग को भू-राजनीतिक जोखिमों से बचाने के लिए देश में मजबूत आधार बनाना होगा।
बैद ने कहा कि हस्तशिल्प पर जीएसटी दर घटाकर 5% करने से घरेलू मांग बढ़ेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि हस्तशिल्प निर्माता भारतीय उपभोक्ताओं की पसंद-नापसंद का अध्ययन करें और उसी के अनुरूप डिजाइन तैयार करें, ताकि मांग को गति मिल सके। रोजगार पर असर को लेकर उन्होंने बताया कि नए निर्यात ऑर्डर घटने से कई इकाइयों ने कर्मचारियों का पुनर्गठन शुरू कर दिया है। फिलहाल असर सीमित है, लेकिन अगले एक-दो महीने में इसका गहरा असर दिखाई देगा।
वहीं, परिधान निर्यातकों का कहना है कि जीएसटी राहत से उनकी स्थिति में बहुत सुधार नहीं होगा। राजस्थान गारमेंट निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष जाकिर हुसैन ने कहा, जीएसटी घरेलू मांग 10% तक बढ़ा सकता है, लेकिन यह निर्यात में आई कमी को पूरा नहीं कर सकता। असल आवश्यकता नए निर्यात बाजार खोलने की है और इसमें सरकार को सहयोग देना चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि उद्योग को वैश्विक व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए बाजार सहायता फंड उपलब्ध कराया जाए ताकि नए खरीदार मिल सकें। उधर, रत्न एवं आभूषण उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा कि जीएसटी दर 3% पर यथावत रहने से निर्यातकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।