Rajasthan News : सरिस्का टाइगर रिजर्व (STR) को लेकर बड़ी खबर। सरिस्का टाइगर रिजर्व तीन महीने बंद रहेगा। यानि 1 जुलाई से सितंबर तक सरिस्का टाइगर रिजर्व नहीं घूम पाएंगे पर्यटक। जिस वजह से क्षेत्र की जनता में बैचेनी बढ़ गई है। जानें क्यों?
Rajasthan News : सरिस्का टाइगर रिजर्व (STR) को लेकर बड़ी खबर। सरिस्का टाइगर रिजर्व तीन महीने बंद रहेगा। मानसून सीजन को देखते हुए जुलाई, अगस्त और सितंबर माह में सरिस्का टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद करने का फैसला लिया गया। दोबारा पर्यटकों के लिए 1 अक्टूबर से खोला जाएगा। वन विभाग के नियमों के अनुसार, सरिस्का और टहला में जोन 1 और 4 के निर्धारित बंद होने से सभी पर्यटन गतिविधियां रुक जाने की आशंका है। जिससे जिप्सी और कैंटर वाहन संचालक, स्थानीय गाइड और छोटे मोटे व्यवसाय करने वालों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित होगी। पर्यटन आय पर निर्भर ये लोग मायूस हैं।
सरिस्का टाइगर फाउंडेशन और कई स्थानीय पर्यटन कार्यकर्ताओं ने राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा से औपचारिक अनुरोध किया है। जिसमें मानसून के दौरान रणथंभौर मॉडल की तर्ज पर सरिस्का टाइगर रिजर्व में भी एक या दो क्षेत्रों को खोलने की मांग की गई है। अपील में कहा गया है कि बारिश के दौरान रणथंभौर में भी जोन 6 से 10 तक पर्यटकों के लिए उपलब्ध रहते हैं। बताया जा रहा है कि पारिस्थितिकीय चिंताओं की वजह से सरिस्का टाइगर रिजर्व बंद किया जा रहा है। पर इसके सहारे अजीविका चलाने वाले लोगों को कहना है कि अगर आंशिक रुप से इसे खोला जाए तो दोनों के काम हो सकते है। पारिस्थितिकीय संरक्षण भी किया जा सकता है और हमारी आजीविका भी चलती रहेगी।
जिप्सी कैंटर यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद योगी ने कहा, "मानसून में सरिस्का टाइगर रिजर्व बंद होने से हम तीन महीने तक बिना काम के हो जाएंगे। हमारा परिवार इससे अर्जित आय पर ही निर्भर हैं। इसके बिना हमें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है।"
सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के संस्थापक सचिव दिनेश वर्मा दुरानी ने कहा कि एक क्षेत्र को खुला रखने से न केवल स्थानीय आजीविका को मदद मिलती है, बल्कि इससे वन्यजीव संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है। पर्यटकों की आवाजाही अवैध गतिविधियों को रोकने में मददगार साबित होती है। आस-पास कोई पर्यटक न होने से अवैध शिकार का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र के मायूस होटल मालिकों और टूर ऑपरेटरों बेहद चिंतित हैं। टहला के पास एक होम स्टे मालिक ने कहा, हमें मानसून के वक्त भी बुकिंग मिलती रहती है, पर पार्क बंद रहने की सूचना से पर्यटक निराश हैं। अगर थोड़े वक्त खुल जाता तो लोगों का मनोबल और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
एक वरिष्ठ वन अधिकारी का कहना है कि, मानसून में जंगल फिर से जीवंत हो जाते हैं। इस दौरान बाघ प्रजनन करते हैं। पर बारिश की वजह से कई मार्ग बह जाते हैं, जिससे उन क्षेत्रों में पर्यटकों का जाना असुरक्षित हो जाता है।
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