जयपुर

राहत की खबर: राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल में अब रोबोट करेगा किडनी ट्रांसप्लांट, संक्रमण का खतरा भी कम

Robotic Renal Kidney Transplant: राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल में अब मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट रोबोट के जरिये किया जाएगा। देश में पहली बार किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होगी।

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Feb 08, 2025

देवेंद्र सिंह राठौड़
Robotic Renal Kidney Transplant: जयपुर। एसएमएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से राहत की खबर है। अब यहां मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट रोबोट के जरिये किया जाएगा। अगले महीने से यह सुविधा शुरू हो जाएगी। इसके लिए अलग से इक्यूपमेंट्स भी मंगवाए गए हैं।

दावा किया जा रहा है कि देश में पहली बार किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू होगी। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग में फिलहाल किडनी ट्रांसप्लांट ओपन या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा किया जाता है।

अब यहां रोबोटिक रीनल किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया जा रहा है। इसके शुरू होने से मरीजों को राहत मिलेगी। खासकर यह मोटापे से ग्रस्त मरीजों के ट्रांसप्लांट में बेहतर विकल्प साबित होगी।

इससे मरीजों में बार-बार होने वाले संक्रमण का जोखिम भी कम रहेगा। दावा किया जा रहा है कि एम्स जोधपुर के बाद राजस्थान का यह दूसरा अस्पताल होगा जहां मरीजों को यह सुविधा मिलेगी।

दर्द भी होगा कम

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक के जरिये ट्रांसप्लांट करने से मरीज को छोटा चीरा लगाया जाएगा। इससे उसे दर्द भी कम होगा और उसकी रिकवरी जल्दी होगी। कहा जा रहा है कि इसमें रक्तस्राव भी कम होगा। खास बात है कि इस तरह की सर्जरी में रोबोटिक आर्म्स और कैमरे का उपयोग किया जाता है। रोबोटिक आर्म्स पर लगे हाई-डेफिनिशन 3-डी कैमरा लगा होता है। इससे सर्जन शरीर के भीतरी हिस्से को स्पष्ट देख पाता है।

दूसरे राज्यों के मरीजों को भी मिले लाभ

अस्पताल में रोबोट को स्थापित किए तीन वर्ष बीत गए हैं। इससे अब तक 175 से ज्यादा सर्जरी की जा चुकी है लेकिन पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। प्रदेश में तो इलाज निशुल्क मिल रहा है लेकिन दूसरे राज्यों को भी फायदा हो इसके लिए पैकेज तैयार किए जा रहे हैं। इसकी फाइल सरकार को भेजी गई है।

गर्व की बात

रोबोटिक रीनल किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा देश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। एसएमएस देश का पहला ही होगा। इस तरह के ट्रांसप्लांट का निजी अस्पतालों में दस लाख तक खर्चा आता है। गर्व की बात है कि अब यह यहां शुरू हो रही है। इसके लिए कुछ विशेष इक्यूपमेंट्स मंगवाए गए हैं, जो कुछ दिन में उपलब्ध हो जाएंगे। उसके बाद इस तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा।
-डॉ. शिवम प्रियदर्शी, एचओडी, यूरोलॉजी विभाग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज


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