जयपुर

Sawan 2024 : राजस्थान का अनोखा मंदिर जहां शिव भक्त करते हैं रावण की भी पूजा, रामायण काल से जुड़ा है ये रहस्य

Sawan Special Shiv Mandir In Rajasthan : श्रावण मास में भक्तों के कदम शिवालयों की ओर बने हुए हैं। मेवाड़ में एक शिवालय ऐसा है, जिसका इतिहास रामायण काल का बताया जाता है।

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Jul 22, 2024

Sawan Somvar 2024 : सावन माह की शुरूआत हो चुकी है। इसी के साथ श्रद्धा की लहर चारो तरफ फैल रही है। सोमवार सुबह से ही शिव भक्त भगवान शिव को जल अर्पित कर आशिष लेने मंदिरों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में शिव मंदिर में खासा भीड़ उमड़ी है। पूरा देश भगवान शिव की भक्ति में आज से सराबोर हो रहा है, ऐसे में हम आपको राजस्थान में स्थित एक अनोखे मंदिर की सैर कराने जा रहे हैं। कहा जाता है कि इसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। यहां स्थित शिवलिंग की स्थापना रावण ने खुद की, जहां भगवान राम भी शिव जी के दर्शन करने पधारे थे। ऐसे में राजस्थान का यह मंदिर बाकि सभी मंदिरों से एक अलग पहचान रखता है जहां सावन के महीने में खासा भीड़ उमड़ी रहती है।

शिवलिंग के समक्ष रावण की प्रतिमा

श्रावण मास में भक्तों के कदम शिवालयों की ओर बने हुए हैं। मेवाड़ में एक शिवालय ऐसा है, जिसका इतिहास रामायण काल का बताया जाता है। खास बात ये कि यहां शिवलिंग के समक्ष रावण की प्रतिमा भी स्थापित है और शिव से पहले रावण की पूजा होती है। मान्यता है कि शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी। वनवास के दौरान भगवान राम भी यहां पहुंचे थे। वहीं महाराणा प्रताप का भी यहां से जुड़ाव रहा है।

शिव के भक्त करते हैं रावण की पूजा

हम बात कर रहे हैं उदयपुर जिले के झाड़ोल क्षेत्र की पहाड़ी पर स्थित कमलनाथ महादेव मंदिर की। उदयपुर से लगभग 70 किलोमीटर दूर झाड़ोल तहसील में आवारगढ़ की पहाड़ी पर शिव का प्राचीन मंदिर है। मेवाड़ की धार्मिक परंपरा के अनुसार ईश्वर से पहले उपासक की पूजा होती है। इसी के चलते कमलनाथ महादेव की पूजा से पहले लंकापति रावण की पूजा की जाती है। मंदिर के पुजारी ललित शर्मा बताते हैं कि यहां आने वाले भक्त भी महादेव के साथ ही उपासक रावण को भी नमन करते हैं।

दंत कथाओं में शिवलिंग स्थापना

पुजारी बताते हैं कि कमलनाथ महादेव की एक कथा लिखी हुई है, जिसके अनुसार रावण भगवान शिव को प्रसन्न करते हुए कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाया। शिवलिंग जमीन पर रखा और यहीं स्थापित हो गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम वनवास के समय यहां आए थे। वहीं महाराणा प्रताप ने भी अकबर से युद्ध के दौरान विकट समय में यहां समय बिताया था।

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