aculty Recruitment AI : स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी एआई से आइडिया जुटाने की सलाह दी।
AI in Education: जयपुर/नई दिल्ली. राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने शिक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के व्यापक उपयोग की वकालत की है। उन्होंने विश्वविद्यालयों के निदेशक, कुलपति और प्राचार्यों के चयन से लेकर छात्रों की परीक्षा, मूल्यांकन और इन्टर्नशिप तक एआई को अपनाने का सुझाव दिया। आज राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित 'शिक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग' पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए सहस्रबुद्धे ने कहा कि एआई न केवल प्रशासनिक कार्यों को आसान बनाएगा, बल्कि छात्रों के करियर को भी नई दिशा देगा।
सहस्रबुद्धे ने जोर देकर कहा कि एआई फैकल्टी चयन, कुलपति की नियुक्ति और पृष्ठभूमि जांच में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पाठ्यक्रम को अपडेट रखने, अध्ययन-अध्यापन के तरीकों में सुधार और रिसर्च कार्यों में भी एआई का भरपूर उपयोग संभव है। छात्रों के व्यावहारिक अनुभव के लिए इन्टर्नशिप चयन में एआई कंपनियों को सही उम्मीदवार चुनने में मदद करेगा, जबकि छात्रों को उनकी रुचि के अनुरूप कंपनियां ढूंढने में सहायता मिलेगी। उन्होंने स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी एआई से आइडिया जुटाने और सुधारने की सलाह दी।
इसके अलावा, सहस्रबुद्धे ने विश्वविद्यालयों के डेटा को एक केंद्रीकृत बैंक में संग्रहित करने का प्रस्ताव रखा। उनका तर्क था कि विभिन्न नियामकों को दिए जाने वाले 80% डेटा समान होते हैं, इसलिए एक जगह से डेटा साझा करने से दोहराव रुकेगा, प्रामाणिकता बढ़ेगी और प्रशासनिक बोझ कम होगा।सम्मेलन का आयोजन भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू ) और केसी ग्लोबेड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
सम्मेलन में दक्षिण एशिया में शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि जॉज थिवेयोस ने भी एआई की ताकत पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वे एआई का उपयोग भारतीय फिल्मों और संगीत की पसंद के अनुसार चयन करने में करते हैं। थिवेयोस ने कहा, एआई भविष्य का अभिन्न हिस्सा है। यह कौशल विकास को प्रेरित करता है और छात्रों को उद्योग की जरूरतों के मुताबिक तैयार करने में सहायक है।" उन्होंने जोर दिया कि AI न केवल उद्योग को नया आकार दे रहा है, बल्कि नए रोजगार सृजित कर रहा है और काम की प्रकृति को बदल रहा है।