जयपुर

Rajasthan Govt: राजस्थान में शहरी निकायों की बढ़ेगी सीमा, विभाग ने सभी निकायों से मांगे प्रस्ताव

Rajasthan News: राजस्थान के शहरी निकायों की सीमा बढ़ेगी। स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों से इसके प्रस्ताव मांगे हैं।

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Dec 23, 2024

जयपुर। राजस्थान के शहरी निकायों की सीमा बढ़ेगी। स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों से इसके प्रस्ताव मांगे हैं। ज्यादातर शहरों में आवासीय, व्यावसायिक योजनाओं का विस्तार मौजूदा सीमा के कई किलोमीटर दूर तक हो गया है। कई हिस्सों में तो घनी आबादी बस चुकी है, लेकिन उन्हें शहरवासियों के अनुसार सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इसे देखते हुए ही विभाग ने निकायों से सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव मांगे हैं।

प्रदेश में अभी तक 18 निकायों ने प्रस्ताव भेजे हैं। राजस्थान में तीन सौ से ज्यादा नगर निकायों का गठन हो चुका है, लेकिन अभी तक 213 निकायों में 90 फीसदी तंगहाली में है।

निकायों का तर्क और सच्चाई

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं: ज्यादातर निकायों ने अभी तक इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। उनका कहना है कि निकायों की आर्थिक स्थिति अभी ठीक नहीं है। ऐसे में जब क्षेत्र बढ़ेगा तो वहां के विकास कार्यों व अन्य सुविधाओं के लिए पैसा कहां से आएगा।

विभाग का दावा: जो नए क्षेत्र शामिल होंगे, उसमें सरकारी जमीनें भी होंगी। इन सरकारी जमीनों का मालिकाना हक भी निकाय को मिलेगा। साथ ही लीज राशि, नगरीय विकास कर भी उनसे ले सकेंगे।

निकायों को दिखा चुके आईना

स्वायत्त शासन विभाग ने पिछले दिनों निकायों को पत्र भेजा था। इसमें साफ किया गया कि वे आर्थिक सहयोग के लिए बेवजह सरकार की तरफ नहीं देखें। तिजोरी में पूरा भुगतान करने के लिए राशि नहीं होती, इसके बावजूद निकाय कार्यादेश जारी करते रहे हैं।

इसके पीछे केन्द्र, राज्य सरकार से आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद रहती है। आगे इस उम्मीद में किसी भी तरह के कार्यादेश जारी नहीं किए जाएं। अपनी आय बढ़ाने के नए स्रोत तैयार करें।

निकाय की संख्या और सदस्य

10 नगर निगम में 855 सदस्य

34 नगर परिषद में 1905 सदस्य

169 नगरपालिकाओं में 5190 सदस्य

आदत को बदलना जरूरी, नहीं तो नए क्षेत्र में भी रहेंगे बदहाल

तंगहाल निकाय वाहवाही लूटने के लिए दिखावटी बजट बना रहे, क्योंकि उनके पास आय के संसाधन ही नहीं है। अनुमानित आय के मुकाबले 70 प्रतिशत तक पैसा तिजोरी में नहीं आ रहा। सरकार भी जरूरत से काफी कम सहायता कर रही है। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।

राजनीति चमकाने में ज्यादातर व्यस्त

राजस्थान में 213 स्थानीय निकाय ऐसे हैं, जहां बोर्ड गठित है। इनमें 7950 सदस्य (पार्षद) हैं। अफसर-कर्मचारियों के साथ इनकी भी जिम्मेदारी है कि अपने निकाय को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएं, लेकिन ज्यादातर अपनी राजनीति चमकाने में व्यस्त रहते आए हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित रहते हैं।

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