मिनी डील के तहत टैरिफ में रियायत मिलती है, तो राजस्थान के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों ज्वैलरी, गारमेंट और हैंडीक्राट को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
जयपुर. भारत और अमरीका के बीच 90 दिन की तय फिक्स टैरिफ मियाद मंगलवार को समाप्त हो गई है। इस बीच दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर वार्ता जारी है, लेकिन अब तक कोई स्थायी फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है।
ऐसे में माना जा रहा है कि व्यापार की निरंतरता बनाए रखने के लिए मिनी ट्रेड डील की संभावना पर बातचीत तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मिनी डील के तहत टैरिफ में रियायत मिलती है, तो राजस्थान के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों ज्वैलरी, गारमेंट और हैंडीक्राफ्ट को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
जयपुर सराफा ट्रेडर्स कमेटी के अध्यक्ष कैलाश मित्तल कहते हैं, वर्तमान में भारत से अमरीका जा रही ज्वैलरी पर करीब 10 फीसदी बेस टैरिफ है। अगर यह घटा तो राजस्थान की इकोनॉमी में सीधा 30-35 फीसदी तक की ग्रोथ संभव है। कारीगरों को भी काम मिलेगा और रोजगार बढ़ेगा।
गारमेंट एक्सपोर्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष रक्षित पोद्दार के अनुसार, अमरीका ने बांग्लादेश पर 35 फीसदी और वियतनाम पर 20 फीसदी टैरिफ लगा रखा है। अगर भारत पर इससे कम टैरिफ लागू होता है, तो अमरीकी मार्केट में भारतीय गारमेंट की कीमतें प्रतिस्पर्धियों से कम होंगी। इसका सीधा फायदा राजस्थान के गारमेंट एक्सपोर्टर्स को मिलेगा।
जयपुर के हैंडीक्राफ्ट और रत्नाभूषण निर्यातकों को भी इस डील से राहत की आस है। जस (जयपुर एसोसिएशन शो) के कन्वीनर अशोक माहेश्वरी ने बताया, ट्रंप प्रशासन की ओर से बढ़ाए गए टैरिफ के बाद जयपुर का एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ था। अगर नई डील में भारत को प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले कम टैरिफ मिलता है, तो जयपुर के एक्सपोर्ट को नया जीवन मिलेगा।
जयपुर से हर साल करीब 5000 करोड़ रुपए की जेस एंड ज्वैलरी अमरीका को एक्सपोर्ट की जाती है। पहले जहां इस पर आयात शुल्क 5.5 फीसदी था, वहीं हाल ही अमरीका ने इसे बढ़ाकर 15.5 फीसदी कर दिया था। इससे जयपुर के कारोबार पर सीधा असर पड़ा। ज्वेलर्स एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष आलोक सौंखिया के अनुसार, अगर आयात शुल्क में कटौती होती है, तो अमरीकी बाजार में भारतीय ज्वैलरी की मांग फिर से बढ़ेगी। चीन और थाइलैंड की तुलना में भारत अब भी प्रतिस्पर्धी स्थिति में है।