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जयपुर में राजपूती कपड़ों का सबसे बड़ा रानी बाजार, 600 दुकानें, 1000 से ज्यादा बुटीक-वर्कशॉप

Jaipur Famous Market :रानी बाजार अब सिर्फ कपड़ों का बाजार नहीं, बल्कि हजारों कारीगरों के लिए रोजगार का मजबूत ठिकाना बन गया है।

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मनीष चतुर्वेदी

जयपुर। झोटवाड़ा में खातीपुरा रोड पर स्थित रानी बाजार अब सिर्फ कपड़ों का बाजार नहीं, बल्कि हजारों कारीगरों के लिए रोजगार का मजबूत ठिकाना बन गया है। यह बाजार खासतौर पर राजपूती महिलाओं के पारंपरिक कपड़ों के लिए जाना जाता है। जोधपुर के बाद इसे राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा राजपूती वस्त्र बाजार माना जाता है। अब यहां हर तरह के गारमेंट्स और डिजाइनर ड्रेस भी खूब बिक रहे हैं। रानी बाजार की करीब 600 दुकानों में से 400 से ज्यादा सिर्फ गारमेंट्स की ही दुकानें हैं। इनमें महिलाओं के लहंगे, साड़ियां, किड्स ड्रेस, फैशन ज्वेलरी और कई नए ट्रेंड के कपड़े तैयार कर बेचे जाते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में इस बाजार की मांग इतनी बढ़ी है कि यहां की गलियों में भी नए शोरूम और गारमेंट्स की दुकानें खुल गई हैं। यही नहीं, बाजार से सटी कॉलोनियों में भी करीब 1000 से ज्यादा बुटीक और छोटे वर्कशॉप चल रहे हैं, जहां हजारों कारीगर कपड़ों पर डिजाइनिंग और सजावट का काम कर रहे हैं।

यहां काम करने वाले कारीगरों में बड़ी संख्या में महिलाएं है। करीब दो हजार महिला कारीगर इस कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी है। इन महिला कारीगरों को राजपूती ड्रेस पर गोटा-पट्टी वर्क, कढ़ाई, स्टोन वर्क और ज्वेलरी अटैच करने का बारीक हुनर आता है। यही वजह है कि एक सादी ड्रेस भी इनके हाथों से गुजरकर बेहद आकर्षक हो जाती है।

रानी बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष मोहन सिंह राठौड़ ने बताया कि हर कारीगर अपनी खासियत लिए हुए है। कोई कढ़ाई में माहिर है, कोई गोटा सजाने में। यह बाजार सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि कारीगरों की कला और मेहनत की वजह से फला-फूला है।

राजपूती कपड़ो में सिर्फ राजस्थान के नहीं, बल्कि यूपी, बिहार और अन्य राज्यों से भी कारीगर आते हैं। करीब 4 से 5 हजार कारीगर नियमित रूप से काम करते हैं। यहां काम करने वाले कई कारीगर हर महीने के 40 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। त्योहार और शादी के सीजन में यह आमदनी और बढ़ जाती है। कई कारीगरों ने तो अपने छोटे-छोटे यूनिट भी खोल लिए हैं, जहां वे ऑर्डर पर डिजाइनर ड्रेस तैयार करते हैं।

रानी बाजार की लोकप्रियता अब उसकी सबसे बड़ी चुनौती भी बन गई है। यहां खरीदारी के लिए रोजाना सैकड़ों ग्राहक आते हैं। मगर पार्किंग की कोई व्यवस्थित जगह नहीं होने से सड़क पर वाहन खड़े रहते हैं। इससे आए दिन जाम लग जाता है। व्यापारियों का कहना है कि पार्किंग की समस्या हल हो जाए तो ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। महिलाओं के लिए टॉयलेट की सुविधा भी अब तक नहीं बन पाई है। जबकि यहां सबसे ज्यादा खरीदारी महिलाएं ही करती हैं। एक दुकानदार ने बताया कि कई बार ग्राहक परिवार लेकर आते हैं, लेकिन बाजार में शौचालय की कमी से असुविधा होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

व्यापार मंडल अध्यक्ष मोहन सिंह राठौड़ ने कहा कि यह बाजार लता सर्किल से लेकर खातीपुरा पुलिया तक फैला हुआ है। यहां के गारमेंट्स और बुटीक कारोबार ने आसपास की कॉलोनियों की तस्वीर बदल दी है। आने वाले समय में यहां एलिवेटेड रोड भी बन सकती है। क्योंकि दिनों दिन यहां पर पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रहीं है।

दुकानदार सुरेश कुमावत ने कहा कि महिलाओं की ग्राहकी इस बाजार में सबसे ज्यादा है। फिर भी यहां पर महिलाओं के लिए एक भी सार्वजनिक टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।

व्यापारी हैप्पी खतरी ने बताया कि पार्किंग नहीं होने के कारण खरीदार व दुकानदार सड़क पर अपनी गाड़ी खड़ी करते है। जिसके कारण दिन में कई बार यातायात जाम होता है। जिसका असर व्यापार पर होता है।