World Population Day 2025: प्रदेश की राजधानी को समेटे जयपुर जिला हांगकांग और सिंगापुर समेत दुनिया के 130 देशों से भी बड़ा है।
शैलेन्द्र अग्रवाल
जयपुर। प्रदेश की राजधानी को समेटे जयपुर जिला हांगकांग और सिंगापुर समेत दुनिया के 130 देशों से भी बड़ा है। मौजूदा जयपुर जिले में कोटपूतली भी शामिल कर लिया जाए तो स्विटजरलैंड जैसे कई देश आबादी में इस जिले से पीछे हैं। यहां तक कि सबसे छोटा जिला सलूम्बर भी विश्व के 70 देशों से बड़ा है। हमारे जिलों से छोटे कई देशों की तो दुनिया में बड़ी पहचान है, ऐसे में अगर सार्थक प्रयास हो तो आबादी हमारी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बन सकती है।
प्रदेश कृषि उपज और दूध के उत्पादन में देश में काफी आगे हैं और इस मजबूती का सहारा बने हैं कई जिले। कृषि उपज और वनस्पति से लेकर उद्योग, पर्यटन व खेल तक कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो हमारी ताकत बन सकते हैं। पशुपालन भी इन क्षेत्रों से अलग नहीं किया जा सकता और पशुओं की कई नस्ल तो देश में नाम भी कमाती रही हैं।
कई बार दुग्ध उत्पादों के मामलों में राजस्थान को हॉलैण्ड जैसे देशों को चुनौती देने वाला कहा जाता है तो हस्तशिल्प में भी राजस्थान कई देशों से आगे है। प्रदेश की आबादी में बड़ी संख्या ऐसी है, जो कौशल (स्किल) की कमी के कारण रोजगार में पीछे है।
आबादी के हिसाब से जयपुर जिला कई विश्व के कई देशों से काफी बड़ा है। इनमें स्विटजरलैंड के अलावा हांगकांग, सिंगापुर, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, फिनलैंड, डेनमार्क व नार्वे सहित कई देश शामिल हैं। ये सभी देश विश्व में अलग पहचान रखते हैं।
नए जिलों में सबसे बड़ा जिला डीडवाना-कुचामन है, जहां की आबादी वर्तमान में 19.70 लाख से अधिक होने का अनुमान है। इसके बाद 14.56 लाख अनुमानित आबादी के साथ कोटपूतली-बहरोड़ नए जिलों में दूसरे स्थान पर है। ब्यावर में 13.76 लाख, डीग में 12.99 लाख, बालोतरा में 12.62 लाख व खैरथल-तिजारा में 11.71 लाख से अधिक आबादी होने का अनुमान है, जबकि फलोदी व सलूम्बर की अनुमानित आबादी 10 लाख से नीचे है।
चीन ने जिस तरह आबादी को ताकत में बदल दिया। बांग्लादेश भी इसी तरह का उदाहरण है। हमारे देश में 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है और वह वास्तविकता में युवा है। यह दुनिया में सबसे अधिक है। आबादी के हिसाब से हिन्दुस्तान की औसत आयु 29 वर्ष है, जबकि यूरोपीय देशों में 50 वर्ष से अधिक और इंग्लैंड में 60 वर्ष से अधिक है। यूरोप बूढ़ा हो रहा है। कोरिया में 96 प्रति श्रमिकों के पास स्किल है, जबकि भारत में 4 प्रतिशत श्रमिकों के पास ही स्किल है। हमें नर में हु जोड़कर हुनर में बदलना होगा, इससे ही हुलास आएगा।
- डॉ. ललित के. पंवार, पूर्व कुलपति, स्किल यूनिवर्सिटी