नाचना क्षेत्र में लगी आग और संसाधनों की सामने आई कमी ने फिर से कई सवाल खड़े कर दिए है।
नाचना क्षेत्र में लगी आग और संसाधनों की सामने आई कमी ने फिर से कई सवाल खड़े कर दिए है। हकीकत यह है कि जिले भर में रेगिस्तान की तपती रेत पर एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। जंगलों और घास के इलाकों में लगातार भडक़ती आग ने जन-जीवन को चिंता में डाल दिया है। बार-बार उठती आग की लपटों से अग्निशमन दलों पर दबाव बढ़ गया है, वहीं संसाधनों की भारी कमी भी उजागर हो रही है। तीव्र रेगिस्तानी हवाएं आग पर काबू पाने के प्रयासों को और भी चुनौतीपूर्ण बना रही हैं। बीते कुछ दिनों में करीब आधा दर्जन स्थानों पर आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। घास के विस्तृत मैदानों और झाडिय़ों में आग इतनी तेजी से फैल रही है कि उसे काबू में करना अग्निशमन दलों के लिए कठिन साबित हो रहा है। कई स्थानों पर ग्रामीणों ने भी अपने स्तर पर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन साधनों की कमी से नुकसान को नहीं रोका जा सका।
जिले के अधिकांश अग्निशमन केंद्रों पर दमकल गाडिय़ों की संख्या सीमित है। कई वाहनों की स्थिति भी खराब है। दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने में समय लगने के कारण आग विकराल रूप ले लेती है। कई बार पानी की भी पर्याप्त उपलब्धता नहीं हो पाती, जिससे आग बुझाने के प्रयास प्रभावित होते हैं।
-भीषण गर्मी, मानवीय लापरवाही, सूखी घास की अधिकता।
प्रभावित क्षेत्र: नाचना, रामगढ़, मोहनगढ़ जैसे नहरी क्षेत्र और पोकरण क्षेत्र आदि।
तेज हवाओं की गति: 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा।
तापमान: अधिकतम 44 से 46 डिग्री सेल्सियस तक।
कृषि मामलों के जानकर एसके व्यास ने बताया कि जैसलमेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में प्राकृतिक दावानल का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सूखी घास और झाडिय़ों में आग तेजी से फैलती है। हवाओं की गति इसे नियंत्रित करने में सबसे बड़ी बाधा बनती है। जरूरत इस बात की है कि ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए हर पंचायत स्तर पर छोटे अग्निशमन उपकरण और पानी के भंडारण की व्यवस्था की जाए। जिले के भौगोलिक विस्तार को देखते हुए अतिरिक्त दमकल वाहनों और फायर टेंडरों की आवश्यकता है। आग लगने की घटनाओं में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में फायर वॉलंटियर टीम भी गठित करनी चाहिए।