मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में इन दिनों फसलों की कटाई तेजी से जारी है। जीरा, ईसबगोल, सरसों, चना और तारामीरा की फसलें पककर तैयार हो गई हैं, जिन्हें किसान जल्द से जल्द निकालना चाहते हैं।
मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में इन दिनों फसलों की कटाई तेजी से जारी है। जीरा, ईसबगोल, सरसों, चना और तारामीरा की फसलें पककर तैयार हो गई हैं, जिन्हें किसान जल्द से जल्द निकालना चाहते हैं। इस दौरान मजदूरों की मांग बढऩे से अन्य जिलों और राज्यों से बड़ी संख्या में मजदूर यहां पहुंच रहे हैं। बीते कुछ दिनों से क्षेत्र में तेज हवाएं चल रही हैं, जिससे खेतों में खड़ी फसलों के बीज झडऩे लगे हैं। इससे किसानों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है, इसलिए वे बिना देरी किए कटाई का काम पूरा करने में लगे हुए हैं। खेतों में सुबह से देर रात तक मजदूर काम कर रहे हैं, ताकि फसल को सुरक्षित निकाला जा सके।
फसल कटाई के सीजन में स्थानीय मजदूरों की संख्या कम पड़ गई है, जिससे राजस्थान के विभिन्न जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात से भी मजदूर यहां आ रहे हैं। कस्बे में मजदूरों की भारी भीड़ देखी जा रही है, जिन्हें लेने के लिए नहरी क्षेत्र से ट्रैक्टर-ट्रॉली और पिकअप वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है।
मजदूरों की मांग बढऩे से मजदूरी दर भी बढ़ गई है। वर्तमान में मजदूरों को 600 रुपये से अधिक दैनिक मजदूरी दी जा रही है। कई किसान मजदूरों को आकर्षित करने के लिए खाने-पीने और ठहरने की भी व्यवस्था कर रहे हैं।
किसान हेताराम विश्नोई का कहना है कि तेज हवाओं के कारण बीज झडऩे लगे हैं, जिससे नुकसान होने की संभावना है। हम मजदूरों को ज्यादा मजदूरी देकर भी फसल जल्दी निकलवाना चाहते हैं।
किसान लाभूराम का कहना है कि कटाई का सीजन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर मौसम अनुकूल रहा और मजदूर पर्याप्त मिल गए तो जल्द ही फसल निकाल लेंगे।
मजदूर सुरेश जो मध्यप्रदेश से आए हैं, ने बताया कि हर साल इसी समय हम यहां काम करने आते हैं। इस बार मजदूरी भी अच्छी मिल रही है, जिससे हमारी मेहनत का पूरा फल मिल रहा है।
मजदूर रामनिवास जो कोटा से आए हैं, ने बताया कि खेती के काम में लगातार मेहनत करनी पड़ती है। यहां किसान हमारे लिए रहने और खाने का भी इंतजाम कर रहे हैं, जिससे हमें कोई दिक्कत नहीं हो रही।
फसलों की सुरक्षित कटाई को लेकर किसानों की मेहनत रंग लाने लगी है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो कुछ ही दिनों में कटाई पूरी हो जाएगी, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।