देवउठनी एकादशी रविवार को भी दूसरे दिन मनाई गई। देव जागरण के साथ ही विवाह और मांगलिक आयोजनों का शुभ समय आरंभ हो गया।
देवउठनी एकादशी रविवार को भी दूसरे दिन मनाई गई। देव जागरण के साथ ही विवाह और मांगलिक आयोजनों का शुभ समय आरंभ हो गया। चातुर्मास के बाद देवताओं के जागने पर मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का दौर चला। शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और भक्ति का माहौल छा गया। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई। तुलसी विवाह के आयोजन, भजन-कीर्तन और आरती के साथ देव जागरण का उत्सव मनाया गया। मंदिरों और घरों में पुष्प, दीपक और तोरण द्वारों से सुंदर सजावट की गई। देव उठने के बाद शहर के धार्मिक स्थलों पर दिनभर श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते रहे।
देवउठनी एकादशी के साथ ही शुभ कार्यों का शुभारंभ होने से शहर में विवाह, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक आयोजनों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजारों में हलचल बढ़ गई है, विवाह से जुड़े सामान, वस्त्र और सजावट सामग्री की खरीदारी जोरों पर है।
स्वर्णनगरी का वातावरण भक्ति और उल्लास से भर गया। घर-घर में तुलसी पूजन, आरती और दीपदान किया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की, वहीं कन्याओं ने सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। देव जागरण की गूंज से पूरा शहर धर्ममय दिखाई दिया।