लोग अपने मकानों, दुकानों और दफ्तरों को चमकाने के लिए रंगाई-पुताई और मरम्मत कार्य करवा रहे हैं।
दीपावली अब बस 13 दिन दूर है। स्वर्णनगरी में इन दिनों घरों और प्रतिष्ठानों की साज-सज्जा अपने चरम पर है। लोग अपने मकानों, दुकानों और दफ्तरों को चमकाने के लिए रंगाई-पुताई और मरम्मत कार्य करवा रहे हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि श्रमिकों और पेंटर्स की मांग अचानक दोगुनी हो गई है। सामान्य दिनों में आसानी से मिलने वाले मजदूर अब हाथ जोडक़र काम करने से मना कर रहे हैं, क्योंकि काम की भरमार है। इस समय करीब चार हजार पेंटर्स को रोजगार मिला हुआ है। उनकी दिहाड़ी एक हजार से बढक़र 1200 रुपए तक पहुंच गई है। केवल पेंटर्स ही नहीं, बल्कि निर्माण कार्यों से जुड़े अन्य कारीगरों को भी ओवरटाइम करना पड़ रहा है। काम समय पर पूरा करने के लिए ठेकेदार उन्हें अतिरिक्त मेहनताना देने को मजबूर हैं।
शहर की गली-गली में इस समय रंग-रोगन की महक फैली हुई है। दीपों के पर्व से पहले हर घर को नया रूप देने की हसरत में लोग किसी भी कीमत पर काम करवा रहे हैं। इन दिनों मजदूर मिलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण इलाकों में भी कमोबेश यही स्थिति है। गांवों के कच्चे मकानों पर महिलाएं मिट्टी से रंगाई कर रही हैं और दीवारों पर पारंपरिक आकृतियां व मांडणे उकेर रही हैं। इस तरह शहर से लेकर देहात तक दीपावली की तैयारी में रंग और रौनक घुल चुकी है।
रंग, डिस्टेंबर और ऑयल पेंट की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है। व्यापारी बता रहे हैं कि इस बार बिक्री पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी हो गई है। ऑयल पेंट 1600 रुपए प्रति लीटर तक बिक रहा है। हार्डवेयर, सेनेटरी और विद्युत सामग्री की मांग भी बढ़ गई है। दुकानदार कहते हैं कि त्योहारी सीजन और पर्यटन सीजन एक साथ होने से कारोबार में अप्रत्याशित उछाल आया है। जैसलमेर के बाजारों में इन दिनों रंगों की चमक देखते ही बनती है। मुख्य मार्गों पर सजावट सामग्री, पेंट और अन्य सामान की दुकानों पर ग्राहकी इतनी अधिक है कि दुकानदारों को अतिरिक्त स्टॉक मंगवाना पड़ रहा है।
शहर के पेंटर बबलू ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार काम दोगुना है। सुबह आठ बजे से लेकर देर रात तक पुताई करनी पड़ती है। दिहाड़ी अच्छी मिल रही है, लेकिन काम का दबाव इतना है कि थकान हावी हो रही है।
एक अन्य पेंटर नारायण ने कहा. कि अभी रिसॉर्ट और होटलों से ज्यादा काम आ रहा है।त्योहारी सीजन और पर्यटन सीजन एक साथ होने से हर जगह पेंटिंग की मांग बढ़ गई है। कई बार ग्राहकों को मना भी करना पड़ रहा है।
ठेकेदार धर्मेंद्र का कहना है कि श्रमिकों की कमी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। अगर 10 मजदूरों की जरूरत होती है तो मुश्किल से 6 ही मिल पाते हैं। समय पर काम पूरा करने के लिए हमें ओवरटाइम करवाना पड़ता है। मजदूर महंगे हो गए हैं, लेकिन मजबूरी में ज्यादा दाम देने पड़ रहे हैं।
शहर के निवासी भी मानते हैं कि दीपावली से पहले मरम्मत और सजावट जरूरी है, इसलिए उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी सुरेश ने कहा कि हमने सोचा था कि घर की पुताई 20 हजार में पूरी हो जाएगी, लेकिन मजदूरी और पेंट दोनों महंगे हो गए। अब 35 हजार रुपए लग रहे हैं। परेशानी है, लेकिन दीपावली पर घर चमकदार दिखे, यह खुशी भी अलग है। दुकानदार महेश ने कहा कि पिछले पंद्रह दिनों में जितना सामान बिका है, उतना तीन महीने में भी नहीं बिकता। इस बार कारोबार में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। त्योहारी और पर्यटन सीजन का संगम स्वर्णनगरी की रौनक और भी बढ़ा रहा है। दीपावली से पहले हर घर, हर प्रतिष्ठान और हर गली को रंगों और रोशनी से सजाने की कोशिश हो रही है।