मानसून काल से पहले नाली-नालों की समुचित साफ-सफाई प्रत्येक शहर में स्थानीय निकायों की तरफ से करवाया जाता है।
मानसून काल से पहले नाली-नालों की समुचित साफ-सफाई प्रत्येक शहर में स्थानीय निकायों की तरफ से करवाया जाता है। लेकिन स्वर्णनगरी जैसलमेर इस मामले में भी फिसड्डी रह जाता है। प्रशासनिक बैठकों में इस संबंध में औपचारिक दिशा-निर्देश जारी करने की रस्म अदा की जाती है और उतने ही सतही अंदाज में बारिश से पहले नाली-नालों की सफाई का कार्य नगरपरिषद का सफाई अमला करता है। जब वास्तव में भारी बारिश आती है, तब इन कार्यों की पोल खुल जाती है। उस समय निचले इलाकों में पानी भर जाता है और कई-कई दिनों तक निकासी नहीं होने के चलते बना ही रहता है। फिर उस क्षेत्र में रहने वाले बाशिंदों व आवाजाही करने वाले लोगों को गंदगी, बदबू और मच्छरों के मिलेजुले हमलों का शिकार होना पड़ता है। जैसलमेर नगरपरिषद से ठीक आगे से होकर निकलने वाले नाले की दशा देखें तो समझ में नहीं आता कि सफाई अमला शहर में और कहां व कैसी सफाई करवा रहा होगा? यह नाला सडक़ के बाएं भाग में है और वर्ष पर्यंत इसकी सफाई की कम ही जहमत उठाई जाती है। ऐसे में जब भी तेज बारिश होती है तो पानी छलक कर सडक़ पर फैल जाता है। उस पानी में नाले की गंदगी भी शामिल होती है। यह रास्ता शहर का सबसे अहम मार्ग है। कोई भी बाहरी व्यक्ति इसी मार्ग से होकर गुजरता है। इसके अलावा यहां दिनभर में हजारों की तादाद में प्रत्येक प्रकार के वाहनों व पैदल लोगों की आवाजाही होती है।
शहर में कई स्थानों पर अब भी नालों की पूरी तरह से कवरिंग नहीं हो पाई है। कहीं-कहीं सफाई करने के लिए पत्थर उठा कर साइड में रख दिए जाते हैं, फिर उन्हें वापस लगाना भूल जाते हैं। जिससे ये नाले आसपास के कचरे से भी अटते रहते हैं और आवाजाही करने वाले लोगों के साथ मूक पशुधन के लिए हादसे का कारण बन जाते हैं। नगरपरिषद ने विगत वर्षों में लाखों रुपए खर्च कर नालों का निर्माण करवाया है। कहीं पर लेवल सही नहीं होने तो कहीं अन्य तकनीकी कारणों से नालों से पानी आगे की ओर नहीं खिसकता है। इससे वे हर समय सड़ांध मारते रहते हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था पर विगत लम्बे अर्से से अनियमितता का दंश लगा हुआ है। जो काम रोजाना होना चाहिए, वह कई-कई दिनों के अंतराल से होता है। जिससे नाले-नालियों की साफ-सफाई भी प्रभावित हुई है। गत 25 नवम्बर के बाद नगरपरिषद बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया और प्रशासकीय व्यवस्था लागू हो गई। निर्वाचित पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो जाने से आमजन की आवाज नगरपरिषद प्रशासन तक नहीं पहुंच पा रही है। शहरवासी अपनी पीड़ा निवर्तमान पार्षदों तक पहुंचाते भी हैं तो इसका असर अब नहीं के बराबर रह गया है। सोशल मीडिया पर लोग जब-तब अपना गुस्सा जाहिर करते हैं। जिम्मेदारों को इतने भर से शायद ही कोई फर्क पड़ता है।
आगामी बरसाती सीजन से पहले शहर के सभी नाले-नालियों की पूरी तरह से सफाई करवानी चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण बारिश के समय जगह-जगह पानी भर जाता है।