जैसलमेर

रेगिस्तान में अवतरित हुई ‘लक्ष्मी’, भू-जल से बदली जैसलमेर की तकदीर

मरुधरा की धरती पर वर्षों तक अकाल, सूखा और पलायन जैसे शब्द ही जीवन का पर्याय बने रहे, लेकिन अब रेगिस्तान की यह तस्वीर बदल चुकी है।

2 min read
Oct 12, 2025

मरुधरा की धरती पर वर्षों तक अकाल, सूखा और पलायन जैसे शब्द ही जीवन का पर्याय बने रहे, लेकिन अब रेगिस्तान की यह तस्वीर बदल चुकी है। यहां जल के रूप में च्लक्ष्मीज् अवतरित हुई है। कभी धूलभरी आंधियों और झाड़-झंखड़ों से ढके रहने वाले इस क्षेत्र में अब भू-जल की धारा बहने लगी है। यही जल अब समृद्धि का प्रतीक बन चुका है। किसानों की मेहनत और नलकूप आधारित कृषि ने इस धरती की तकदीर ही पलट दी है।

भू-जल की उपलब्धता ने सिर्फ कृषि ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दी है। खेतों में उत्पादन बढऩे के साथ ही गांवों में कुटीर उद्योगों की बहार आ गई। मोटर पंप रिपेयरिंग, स्प्रिंकलर मरम्मत, खाद-बीज की दुकानें और कृषि उपकरणों की मांग ने ग्रामीण बाजारों को जीवंत बना दिया है। कभी सुनसान गांव अब छोटे कस्बों का रूप ले रहे हैं। ग्रामीण अंचलों के बुजुर्ग आज भी वे दिन याद करते हैं जब जैसलमेर को च्काले पानीज् जैसी उपमा दी जाती थी। अब वह अंधकारमय पहचान हरियाली में बदल गई है।

तब और अब - भूख से समृद्धि तक का सफर

कभी यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पशुपालन पर निर्भर थी। अकाल और सूखे ने लोगों को खानाबदोश बना दिया था। रोज़ी-रोटी के लिए पलायन सामान्य बात थी। स्वतंत्रता के बाद पर्यटन से थोड़े बदलाव के संकेत मिले, पर वह शहरी क्षेत्रों तक सीमित रहा। ग्रामीण जीवन में असली परिवर्तन तब आया जब प्रशासन ने अस्सी के दशक में भू-जल आधारित कृषि को प्रोत्साहित किया। चांधन, राजमथाई और ओला क्षेत्र से शुरू हुई इस पहल ने पूरे जिले का चेहरा बदल दिया। कुएं खुदवाने की पहल ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया और अकाल के भय को मिटा दिया।

एक्सपर्ट व्यू: हर ओर हरियाली का चमत्कार

नलकूप आधारित कृषि ने मरुप्रदेश का पर्यावरणीय परिदृश्य पूरी तरह बदल दिया है। अब जहां कभी रेत के धोरे और कंटीली झाडिय़ां नजर आती थीं, वहां सरसों, जीरा, मूंगफली और चने की फसलें लहलहा रही हैं। नकदी फसलों के उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि हुई है और जीवन स्तर सुधरा है। अब यह क्षेत्र केवल रेगिस्तान नहीं, बल्कि मेहनत, नवाचार और प्रकृति की कृपा का अद्भुत उदाहरण बन गया है।

  • डॉ. एनडी इणखिया, प्रभारी, भू-जल वैज्ञानिक, जैसलमेर
Published on:
12 Oct 2025 11:34 pm
Also Read
View All

अगली खबर