भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटे सरहदी जिले का पोकरण कस्बा भारत की परमाणु शक्ति का गौरवशाली प्रतीक है।
भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटे सरहदी जिले का पोकरण कस्बा भारत की परमाणु शक्ति का गौरवशाली प्रतीक है। 1974 और 1998 में यहां हुए परमाणु परीक्षणों ने देश को वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया, लेकिन इसी पोकरण क्षेत्र के युवा रोजगार व बेहतर शिक्षा की तलाश में है। एक तरफ पोकरण की पहचान राष्ट्र के लिए गौरव की बात है। दूसरी तरफ यहां के युवाओं की जिंदगी असमंजस और संघर्ष से भरी हुई है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, उच्च शिक्षण संस्थानों का अभाव और सीमित रोजगार के मौके युवाओं के सपनों को पंख लगाने से पहले ही थका रहे है। यही नहीं पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में परमाणु परीक्षण के सबसे नजदीकी गांव, जिसने मकानों, टांकों में दरारों के साथ बीमारियों का दंश भी झेला, वहां भी केवल उच्च माध्यमिक स्तर का एक विद्यालय ही स्थित है। उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण गांव के बच्चों को अन्यंत्र जाकर अध्ययन करना पड़ रहा है।
पद रिक्तता के अभिशाप से कब मिलेगी मुक्ति
पोकरण क्षेत्र के विद्यालय हो या महाविद्यालय, हर जगह पद रिक्तता की समस्या बनी हुई है। शिक्षकों व व्याख्याताओं के पद रिक्त होने के कारण युवाओं को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है। कई युवा अन्य शहरों का रुख कर रहे है तो कई शिक्षण छोडऩे को मजबूर हो रहे है।
रोजगार की स्थिति भी बेहतर नहीं
परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण को विश्व स्तरीय पहचान मिली, लेकिन सरकार की नजरें इनायत नहीं हो सकी। यहां रोजगार के साधन व उद्योग बढ़ाने को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है। हालांकि सौर व पवन ऊर्जा संयंत्रों का पोकरण हब बन रहा है, लेकिन जिन गांवों में प्लांट नहीं है, वहां रोजगार की कमी महसूस हो रही है।
बढ़ें तकनीकी शिक्षा व स्किल डवलपमेंट
क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा को लेकर कोई पहल नहीं हुई है। हालांकि पोकरण में एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है और कुछ युवा निजी संस्थानों से डिप्लोमा कर रहे है, लेकिन सरकारी महाविद्यालय या तकनीकी शिक्षा को लेकर कोई सुविधा नहीं है। इसके अलावा स्किल डवलपमेंट, स्टार्टअप जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।
मिले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तो रुके पलायन
क्षेत्र में उच्च व तकनीकी शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण युवाओं को अन्यंत्र जाना पड़ता है। सरकार को बेहतर शिक्षण व्यवस्था के लिए प्रयास करने चाहिए।
बढऩे चाहिए रोजगार के अवसर
युवाओं के लिए क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त साधन नहीं है। परमाणु परीक्षण के बाद विश्व स्तरीय पहचान के बावजूद सरकार ने इस क्षेत्र के चहुमुखी विकास व युवाओं के रोजगार को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया है।