खरीफ फसल की कटाई के समय मजदूरों की भारी मांग बढ़ गई है, खासकर जिले के सीमावर्ती इलाकों में।
खरीफ फसल की कटाई के समय मजदूरों की भारी मांग बढ़ गई है, खासकर जिले के सीमावर्ती इलाकों में। इन दिनों स्थानीय मजदूरों की कमी के कारण मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंच रहे हैं। फसलों को मौसम बिगडऩे से होने वाले नुकसान के डर से किसानों ने जल्दी कटाई शुरू कर दी है, जिससे मजदूरों की मांग में इजाफा हुआ है। उधर, इन दिनों क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों की खेतों में कार्य के लिए मांग बढ़ गई हैं।
तेज हवाओं के कारण बीज झडऩे का खतरा है, जिससे किसान जल्दी से जल्दी फसल की कटाई कर सुरक्षित निकालना चाहते हैं। इन दिनों पल पल बदल रहे मौसम की वजह से क्षेत्र के किसानों में खरीफ की पकी फसल को काटने को लेकर चिंता बढ़ी हुई है। किसान न सिर्फ अपने परिवार सहित खेतों में फसल कटाई के लिए जुटा है,बल्कि मजदूरों को ला कर खेतों की फसल कटाई का कार्य मौसम बिगडऩे से पूर्व करना चाहता है। स्थानीय मजदूरों की संख्या पर्याप्त न होने के कारण प्रवासी मजदूरों की आवश्यकता बढ़ गई है। स्थानीय मजदूर खेती कार्य के लिए नहीं मिलने पर किसानों के दल इन दिनों रामदेवरा में विभिन्न जगहों से आते है। रेलों से प्रवासी मजदूरों के दल उतरते ही किसानों के दल इन्हें अच्छी मजदूरी और सुविधाओं को देने का भरोसा दिला कर अपने साथ ले जाते हैं। ऐसे में इन दिनों क्षेत्र के रेलवे स्टेशन और नाचना चौराहा पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ नजर आ रही हैं।
क्षेत्र में इन दिनों खरीफ की विभिन्न फसलों की कटाई को मौसम की मार से बचाने के लिए खेतों में खड़ी फसल की कटाई के लिए मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों से भारी संख्या में मजदूर राजस्थान के विभिन्न जिलों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में रामदेवरा में आने वाले प्रवासी मजदूरों को लेने के लिए मोहनगढ़, नाचना, भारेवाला, लोहारकी, नोख जैसे सुदूर क्षेत्रों से किसानों के दल आ रहे है। इन दिनों रेलों और बसों से हर दिन मजदूरों के दल रामदेवरा आ रहे है। सिर पर सामान लादे और खाने पीने की सामग्री लिए मजदूरों के दल इन दिनों भारी संख्या में आ रहे हैं। रामदेवरा में मजदूरों की भारी भीड़ देखी जा रही है, जहां उन्हें ले जाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली और पिकअप वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है।
खेतों में फसल कटाई के लिए स्थानीय मजदूर ढूंढने पर भी मिल नहीं रहे हैं। ऐसे में प्रवासी मजदूरों को जोड़े के हिसाब से खेतों में कार्य के लिए ले जाना पड़ता हैं। मौसम के बिगडऩे से फसलों के खराब होने का डर बना हुआ हैं।