जैसलमेर के अमरसागर प्रोल से हनुमान चौराहा की तरफ जाने वाले मार्ग की बाईं दिशा में कभी ग्रामीण बस स्टेंड के कारण अस्तित्व में आया बाजार अब यहां से वर्षों पहले बस स्टेंड के डेडानसर मार्ग पर स्थानांतरित हो जाने के बावजूद एक बड़ा व्यावसायिक ठिकाना बन चुका है।
जैसलमेर के अमरसागर प्रोल से हनुमान चौराहा की तरफ जाने वाले मार्ग की बाईं दिशा में कभी ग्रामीण बस स्टेंड के कारण अस्तित्व में आया बाजार अब यहां से वर्षों पहले बस स्टेंड के डेडानसर मार्ग पर स्थानांतरित हो जाने के बावजूद एक बड़ा व्यावसायिक ठिकाना बन चुका है। यहां बीसियों दुकानों के अलावा दर्जनों ठेलों व कियोस्कों में अलग-अलग वस्तुओं की बिक्री की जाती है। यहां आने वाले ग्राहक ज्यादातर आसपास के गांवों के ग्रामीण होते हैं। इस बाजार में चारों तरफ इतने अतिक्रमण हो रखे हैं कि व्यवस्था नाम की चीज को खोजना मुश्किल हो जाता है। कई दुकानदारों ने आवाजाही के मार्ग पर ही सामान रखकर व्यापार करना शुरू कर रखा है। जिससे सडक़ पूरी तरह से संकरी हो चुकी है। सडक़ पर सामान रखे जाने से और वाहनों की निर्बाध आवाजाही से दिनभर जाम के हालात बने रहते हैं। इससे केवल वस्तुओं की खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहक ही परेशान नहीं होते बल्कि दुकानदार व ठेले वाले भी आजिज आ चुके हैं। जिस खुले मैदान से कभी गांवों के लिए बसें आवाजाही करती थी, वहां दुकानें और उनके आगे फल-सब्जी व अन्य वस्तुओं के ठेलों की कतारें लगी रहती हैं। यहां दिन भर स्वच्छंद घूमते पशुधन से भी दुकानदार व खरीदारी करने वाले लोग कम परेशान नहीं हैं। इसके अलावा बाजार में साफ-सफाई की कमी भी साफ देखी जा सकती है। सडक़ों की हालत भी खस्ता है।
पुराने ग्रामीण बस स्टेंड का बाजार अब बहुत व्यस्त हो गया है लेकिन यहां पर किसी तरह की व्यवस्थाओं का निर्वहन नहीं किया जाता। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।