जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के लखा गांव में निजी कम्पनी की कथित लापरवाही का शिकार होकर घायल हुए विरमसिंह राजपुरोहित को आर्थिक पैकेज देने सहित अन्य मांगें माने जाने पर सहमति बन गई और इसके बाद मंगलवार देर शाम धरना समाप्त किया गया।
जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ उपखंड क्षेत्र के लखा गांव में निजी कम्पनी की कथित लापरवाही का शिकार होकर घायल हुए विरमसिंह राजपुरोहित को आर्थिक पैकेज देने सहित अन्य मांगें माने जाने पर सहमति बन गई और इसके बाद मंगलवार देर शाम धरना समाप्त किया गया। गौरतलब है कि लखा में निजी कम्पनी की साइट के बाहर पिछले 6 दिनों से धरना दिया जा रहा था। शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी लगातार तीन दिनों से वहां डटे हुए थे। इससे पहले रविवार को जिला प्रशासन एवं कम्पनी के अधिकारियों के मध्य वार्ता विफल रही थी। धरनार्थियों के आक्रोश और शिव विधायक रविंद्रसिंह के सख्त रुख को देखते हुए कम्पनी के अधिकारी मान गए। मंगलवार को रामसिंह बोथिया के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल की जिला प्रशासन व कम्पनी के अधिकारियों के मध्य बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने बताया कि घायल विरमसिंह की ओर से रखी गई सभी मांगें मान ली गई हैं। इस अवसर पर बताया गया कि कम्पनी की ओर से बरती गई लावरवाही की जांच की जाएगी। इससे पहले मंगलवार सुबह शिव विधायक रविंद्रसिंह एवं थानसिंह डोली ने लखा दुर्ग स्थित चामुंडा मंदिर में दुर्गाष्टमी के अवसर पर पूजा-अर्चना और हवन कर जिले एवं प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की गई। पूजा-अर्चना के बाद भाटी धरना स्थल पर पहुंच गए।
गौरतलब है कि गत 19 सितंबर को विरमसिंह मोटरसाइकिल से खेत जाते समय अचानक रास्ते मे पड़ी हाइटेंशन तारों की चपेट में आने से बुरी तरह घायल हो गए थे। उनका उपचार फिलहाल जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में चल रहा है। घटना के बाद 5 दिन तक कम्पनी या प्रशासन ने पीडि़त परिवार की सुध नहीं ली। 25 सितंबर को घटनास्थल पर पीडि़त परिजनों व ग्रामीणों ने धरना शुरू किया। जिसमें शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी, आरएलपी के थानसिंह डोली, रामसिंह बोथिया सहित सैकड़ो लोग घटना स्थल पर डेरा डाले हुए थे। रवि और सोमवार रात्रि को शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी और थानसिंह डोली सहित ग्रामीणों ने धरना स्थल पर रात गुजारी।
धरने पर फतेहगढ़ प्रधान जनकसिंह भाटी, पूर्व सरपंच टीकमसिंह, तोगसिंह, किशनसिंह, भूरसिंह लंगेरा, रतनसिंह महाबार, रतनसिंह लखा, पुखराजसिंह बिस्सू, तेजपालसिंह लखा, दुर्जनसिंह सिंहड़ार, शोभसिंह बईया, रूपसिंह रणधा, तारेंद्रसिंह लखा, भैरूसिंह मुंगेरिया, गोपालसिंह, भदरसिंह, निम्बसिंह सहित सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।