रेगिस्तान की रेत में अब सिर्फ इतिहास के कदम नहीं गूंजते, बल्कि नए सपनों की आहट भी सुनाई देती है।
रेगिस्तान की रेत में अब सिर्फ इतिहास के कदम नहीं गूंजते, बल्कि नए सपनों की आहट भी सुनाई देती है। जैसलमेर के युवा अपने संकल्प, नवाचार और साहस से मरुस्थल में संभावनाओं के नये द्वार खोल रहे हैं। उद्यमिता, तकनीकी दक्षता और वैश्विक सोच के साथ यहां का युवा भविष्य को नए आकार दे रहा है। अब जैसलमेर के युवा पारंपरिक सीमाओं से आगे बढक़र नवाचार के जरिए अपनी राह खुद बना रहे हैं। टूरिज्म, हस्तशिल्प, फूड स्टार्टअप, एग्रीटेक और डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में नए प्रयोग हो रहे हैं। नई सोच के साथ अपने व्यवसाय खड़ा करने वाले युवा न केवल अपनी आजीविका सृजित कर रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं।
डिग्री से आगे बढक़र कौशल पर केंद्रित सोच ने जैसलमेर के युवाओं को नई दिशा दी है। आईटीआई, स्किल डेवलपमेंट सेंटर और निजी प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से तकनीकी दक्षता बढ़ी है।
-800 के करीब युवा ले रहे विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण
-20 प्रतिशत युवाओं का रुझान डिजिटल स्किल्स जैसे वेब डेवलपमेंट, डिजिटल मार्केटिंग में
अपनी परंपराओं से जुड़े रहते हुए जैसलमेर के युवा अब वैश्विक बाजार तक पहुंचने का सपना देख रहे हैं। लोक संगीत, हस्तशिल्प, खानपान और लोककला को आधुनिक मार्केटिंग और सोशल मीडिया के जरिए दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है।
मोटिवेटर व कॅरियर काउंसलर आलोक थानवी का कहना है कि जैसलमेर में युवाओं के भीतर जो नवाचार और उद्यमिता की ललक दिख रही है, वह आने वाले समय में जिले की सामाजिक और आर्थिक तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है। सरकार और निजी क्षेत्र को इन प्रयासों को संरक्षित और पोषित करने की जरूरत है। अब शिक्षा केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है। जैसलमेर का युवा हुनर, तकनीक और वैश्विक सोच के साथ अपनी पहचान गढऩे के लिए तैयार है। ये बदलाव जिले को शिक्षा और उद्यमिता का उभरता केंद्र बना सकते हैं।