कंप्यूटर और साइबर के इस युग में भी दीपावली पर बहियों का महत्व कम नहीं हुआ है।
कंप्यूटर और साइबर के इस युग में भी दीपावली पर बहियों का महत्व कम नहीं हुआ है। व्यापारी अब भी परंपरागत बहियों में अपना लेखा-जोखा रखते हैं और दीपावली के अवसर पर उनकी पूजा करते हैं।
दुकानदार हिमांशु भाटिया और राजू भाटिया बताते हैं कि पिछले 20-25 वर्षों से उनकी दुकान पर बहियों की बिक्री दीपावली के समय बढ़ जाती है। बहियों में हिसाब-किताब रखने की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे लक्ष्मी का प्रतीक मानकर व्यापारी पूजा करते हैं। व्यापारी हरीश धीरण कहते हैं कि भले ही कंप्यूटर में खाते रखे जाते हैं, लेकिन पुराने समय की बहियों में व्यापार का लेखा-जोखा सुरक्षित रहता है। पुरानी बहियों के प्रति उनका विशेष लगाव है क्योंकि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
बहियों में दिन, वार और पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से लिखी जा सकती है। कंप्यूटर में तकनीकी खराबी से डेटा नष्ट होने का खतरा रहता है, लेकिन बहियों में लेखा-जोखा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसलिए व्यापारियों के लिए बहियों में हिसाब रखना परंपरागत और शुभ माना जाता है। दीपावली पर गणेश और लक्ष्मी पूजन के बाद व्यापारियों की यह परंपरा न केवल उनके व्यवसाय को सम्मान देती है, बल्कि पुराने समय की यादें भी संजोती है।