परमाणु नगरी पोकरण में आने वाले पर्यटक कलात्मक हवेलियां, ऐतिहासिक बालागढ़ फोर्ट व मंदिरों का भ्रमण और दर्शन अवश्य करते है, लेकिन यहां दो घड़ी सुकून से बैठने की कोई जगह नहीं होने के कारण कुछ ही देर में यहां से प्रस्थान कर जाते है।
परमाणु नगरी पोकरण में आने वाले पर्यटक कलात्मक हवेलियां, ऐतिहासिक बालागढ़ फोर्ट व मंदिरों का भ्रमण और दर्शन अवश्य करते है, लेकिन यहां दो घड़ी सुकून से बैठने की कोई जगह नहीं होने के कारण कुछ ही देर में यहां से प्रस्थान कर जाते है। यही हाल पोकरण के निवासियों का भी है। भोर में घूमने के लिए डामर की काली स्याह सडक़ें तो है, लेकिन हरियाली लगे बाग बगीचे नहीं। ऐसे में आमजन का सपना है कि पोकरण में कोई बड़ा पार्क या उद्यान विकसित हो, जहां सुकून के साथ बैठकर कुछ पल बिताए जा सके। गौरतलब है कि चार से पांच किमी की परिधि में फैले पोकरण में 25 हजार की आबादी निवास करती है। इसके अलावा विभिन्न विभागों, सोलर प्लांट, पुलिस, सेना, बीएसएफ के अधिकारियोंं, कर्मचारियों, जवानों के साथ उनके परिवार भी यहां निवास करते है। इनके लिए यहां देखने व घूमने के कई पर्यटन स्थल है, लेकिन कुछ पल सुकून से बिताने के लिए कोई बड़ा पार्क या उद्यान नहीं है। जिसको लेकर स्थानीय निवासियों की ओर से लम्बे समय से मांग भी की जा रही है, जो पूरी नहीं हो पा रही है।
-कस्बे का वर्षों पुराना फोर्ट रोड पर स्थित नेहरु बालोद्यान है, यहां हरियाली सपना ही बनी हुई है।
कस्बे के सुभाष चौक व व्यास सर्किल के पास स्थित उद्यानों में कचरे व गंदगी के ढेर लगने लगे है। कोई उपयोग नहीं होने के कारण मुख्य द्वारों पर भी ताले लटके है। साथ ही इन उजाड़ उद्यानों में हरियाली, पेड़ पौधों की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा चारदीवारी, बैंचें आदि क्षतिग्रस्त होते जा रहे है। यहां जमा कचरे व गंदगी के कारण आसपास का वातावरण भी दुषित हो रहा है। यही नहीं ये उद्यान आवारा पशुओं की शरणस्थली भी बने हुए है।
कस्बे के सालमसागर तालाब के हनुमान मंदिर के पास हनुमान वाटिका उद्यान है। जिसकी देखभाल यहां आसपास निवास कर रहे लोग ही कर रहे है। जिसके चलते यह उद्यान उपयोगलायक है। यहां सुबह व शाम लोगों, महिलाओं की आवाजाही भी रहती है और बच्चों के लिए झूले आदि की भी व्यवस्था है, लेकिन इस उद्यान की जगह कम होने से एक साथ ज्यादा लोग नहीं बैठ पा रहे है। साथ ही सुविधाओं का भी विस्तार नहीं हो पा रहा है।
पोकरण कस्बे में कोई अच्छा पार्क या उद्यान विकसित होता है तो वृद्धजनों के साथ महिलाएं, युवक, युवतियां, पुरुष व बच्चे भी मनोरंजन, मॉर्निंग वॉक व आनंद के साथ सुकून के पल व्यतीत करने जाएंगे। जिससे उनके स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। सुबह व शाम के समय मुख्य सडक़ों के प्रदुषण से दूर शांत वातावरण में पेड़ पौधों की छांव में बैठने में व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होगा और उन्हें कई बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी।