जैसलमेर

ओरण-गोचर को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को ग्रामीणों का समर्थन, सेवा शिविरों का बहिष्कार

जैसलमेर जिले में पर्यावरण प्रेमियों की ओर से ओरण- गोचर जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने दिया जा रहा अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को तीसरे दिन जारी रहा।

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Sep 18, 2025

जैसलमेर जिले में पर्यावरण प्रेमियों की ओर से ओरण- गोचर जमीनों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने दिया जा रहा अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को तीसरे दिन जारी रहा। बड़ी संख्या में अलग-अलग क्षेत्रों के ग्रामीण धरने पर बैठे। दूसरी ओर इस मुद्दे को समर्थन देते हुए जिले में कई ग्राम पंचायतों में ग्रामीण सेवा शिविरों का ग्रामीणों ने बहिष्कार किया। जानकारी के अनुसार जिले में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविरों के खिलाफ गांव-गांव में बहिष्कार का सिलसिला तेज हो गया है। बुधवार को झिनझिनयाली से शुरू हुआ विरोध गुरुवार को ग्राम पंचायत मेहरों की ढाणी, तेजपाला, हमीरा, चांधन, राघवा, नेहड़ाई, सांखला, रायमला, कोहरा, भाडली और खींया गांवों में भी जारी रहा। इन सभी स्थानों पर ग्रामीणों ने सामूहिक बहिष्कार कर विरोध जताया। बईया पंचायत में शुक्रवार को आयोजनीय शिविर का बहिष्कार भी ग्रामीणों ने पहले ही घोषित कर दिया है। कई जगहों पर ग्रामीणों ने नारेबाजी की। ग्रामीणों ने टीम ओरण के सहयोग से कलक्टर और जैसलमेर विधायक को मुख्यमंत्री के नाम ओरण व गोचर भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग का ज्ञापन सौंपा। पर्यावरण प्रेमी सुमेरसिंह सांवता ने बताया कि आंदोलन की कड़ी में शुक्रवार को जैसलमेर में मशाल जुलूस का आयोजन किया जाएगा।
सरपंच भी विरोध में शामिल
गुरुवार को कई ग्राम पंचायतों ने शिविर प्रभारियों को ज्ञापन सौंपकर अपनी नाराजगी दर्ज कराई। सरपंचों के साथ ग्रामीण भी विरोध में शामिल रहे। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि जिले में ओरण, गोचर, तालाब, आगोर, नदी-नाले जैसी प्राकृतिक धरोहरों को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। सरकारी भूमि को कंपनियों को देने से पहले भूमिहीन वासियों को आवंटित किया जाए। साथ ही ऐतिहासिक स्थल, मंदिर, छतरियां, बावड़ी, पायतल और शिलालेख को भी रिकॉर्ड में शामिल करने की मांग उठाई गई है। ग्रामीणों ने कहा कि गोडावण जैसे दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जिले में सोलर और विंड कंपनियों को जमीन नहीं दी जानी चाहिए। अंधाधुंध पेड़ कटाई पर रोक लगाई जाए, गोपालक और ऊंटपालकों के लिए अभयारण्य बनाए जाएं और जिले में उत्पादित बिजली स्थानीय किसानों को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराई जाए।

यह हैं मुख्य मांगें

पर्यावरण प्रेमियों की ओर से मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में मुख्य रूप से गोचर, नदी, नाले, कुएं, तालाब, खड़ीन आगोर की भूमियों के संरक्षण, गांव-ढाणियों की आबादी का विस्तार, कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार, किसानों को भूमि आवंटन व 18 घंटे बिजली देने के साथ ओरण संबंधी की जो फाइलें कलेक्ट्रेट में लम्बित हैं, उन्हें यथाशीघ्र जयपुर भिजवाने और नई ओरण की पत्रावलियां तैयार करने की मांगें मुख्य रूप से शामिल हैं। गुरुवार को धरने पर सुमेरसिंह सांवता, भोपालसिंह झलोड़ा, कुन्दनसिंह मोकला, दुर्गसिंह सत्याया, अमरसिंह खुहड़ी, प्रेमसिंह मूलाना, रमेश सिंह, मनोहरसिंह मोकला, अनोपसिंह बडोड़ा गांव, भोमसिंह पिथला, गोविंदसिंह भैंसड़ा, रेवंतसिंह, विरमसिंह पारेवर, तनसिंह भेलाणी, मघाराम कंडेल, मुकनसिंह बईया, गिरधरसिंह जोगीदास का गांव, लोकेन्द्रसिंह तेजमालता और लीलसिंह रणधा आदि उपस्थित रहे।

Published on:
18 Sept 2025 10:03 pm
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