
थार का वह इलाका, जो कभी तेज गर्म हवाओं और बिजली संकट के लिए पहचाना जाता था, आज ऊर्जा निवेश का मजबूत केंद्र बन चुका है। जैसलमेर और बाड़मेर अब केवल मरु प्रदेश नहीं रहे, बल्कि सौर और पवन ऊर्जा के सहारे देश के अग्रणी हाइब्रिड ऊर्जा हब के रूप में उभर रहे हैं। इन परियोजनाओं ने बिजली उत्पादन की दशा बदली है और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खोले हैं। निर्माण, संचालन, तकनीकी सेवाओं और रखरखाव के क्षेत्रों में हजारों युवाओं को काम मिला है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इसका सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने भूमि, विद्युत कनेक्शन और आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की है। नई ऊर्जा नीति और प्रोत्साहन योजनाओं से निजी कंपनियों का विश्वास भी मजबूत हुआ है।
पोकरण क्षेत्र में रिन्यू कंपनी का 975 मेगावाट सोलर प्लांट रामपुरिया, भिणाजपुरा, हस्तिनापुर और मसूरिया गांवों में 3500 एकड़ क्षेत्र में स्थापित है। यह संयंत्र हर वर्ष 2490 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन करेगा, जिसे आमजन को 2.18 रुपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध कराया जाएगा। इससे लगभग 5 लाख परिवारों को लाभ पहुंचेगा। जैसलमेर जिले में नेड़ान–मूलाना सोलर पार्क 1500 मेगावाट क्षमता के साथ निर्माणाधीन है। नोख क्षेत्र में 925 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। फतेहगढ़ और लाठी में 1–1 मेगावाट सोलर परियोजनाएं संचालित हैं।
बाड़मेर जिले के 1000 से अधिक कृषि कुओं पर सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यरत हैं। राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र के 6500 घरों को सौर ऊर्जा से रोशन किया जा रहा है। बालोतरा के पॉपलीन उद्योग में कई कारखाने सौर ऊर्जा पर शिफ्ट हो चुके हैं।
पवन ऊर्जा उत्पादन में भी यह क्षेत्र अग्रणी है। राजस्थान में कुल 4913 मेगावाट में से 4000 मेगावाट से अधिक पवन बिजली केवल जैसलमेर–बाड़मेर में उत्पन्न हो रही है।
नाचना और मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में सोलर पम्पों और रूफटॉप सोलर प्लेटों से ग्रामीण जीवन में बड़ा परिवर्तन आया है। नाचना के मुरलीधर सुथार बताते हैं—पहले बिजली कब आएगी कहना मुश्किल था। सिंचाई टल जाती थी और फसल प्रभावित होती थी। अब सोलर पम्प से लगातार पानी मिलता है और डीजल खर्च खत्म हो गया है।.सीमा देवी कहती हैं—बच्चों की पढ़ाई अब रात में भी बाधित नहीं होती। छत पर लगी सोलर प्लेट से रोशनी रहती है और बिजली बिल आधा हो गया है। मोहनगढ़ क्षेत्र के पीडी के चिम्माराम का कहना है—नहरी क्षेत्र में सिंचाई समय पर हो रही है। फसल चक्र नियमित हुआ है और पानी की उपलब्धता अब अनिश्चित नहीं। महिपालदान चारण बताते हैं—गांव की सोलर स्ट्रीट लाइटें रात में सफर और काम को आसान बनाती हैं। छोटे दुकानदार और घरेलू उपयोगकर्ता सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं ने युवाओं को तकनीकी, निर्माण, साइट प्रबंधन, सुरक्षा और ट्रांसमिशन कार्य में रोजगार दिया है। उद्योगों को स्थिर बिजली मिलने से पॉपलीन उत्पादन, कृषि उपकरण निर्माण और छोटे व्यवसायों में गति आई है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है और कौशल विकास को भी बढ़ावा मिला है।
पोकरण सोलर प्लांट हर वर्ष 2.3 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने में मदद करेगा। प्रति यूनिट 936 ग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी का अनुमान है। सौर पैनलों का बड़ा हिस्सा राजस्थान में निर्मित होने से राज्य में हरित तकनीक और उद्योग को भी नई दिशा मिली है।
हकीकत : चुनौतियां के साथ आगे की राह
खारी भूमि, पानी की कमी और मरु स्थलों की भौगोलिक कठिनाइयां अभी भी चुनौतियां हैं, लेकिन इन अवरोधों के बावजूद जैसलमेर–बाड़मेर देश के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
Published on:
13 Dec 2025 11:23 pm
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