स्वर्णनगरी इन दिनों गणगौर के मंगल गीतों से गूंज रही है। युवतियां सोलह दिवसीय गणगौर व्रत कर अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली की कामना कर रही हैं।
स्वर्णनगरी इन दिनों गणगौर के मंगल गीतों से गूंज रही है। युवतियां सोलह दिवसीय गणगौर व्रत कर अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली की कामना कर रही हैं। मंगल गीतों की सुमधुर ध्वनि के साथ महिलाएं और अविवाहित कन्याएं देवी गणगौर का पूजन कर रहीं हैं।प्रात: काल से ही युवतियां सिर पर मंगल कलश धारण कर विभिन्न मंदिरों की ओर जाती हैं। 'आठ कपट री इण्डोणी', 'भंवर म्हाने पूजण दो गणगौर' और 'संदेशड़े रा फूल तोड़्या' जैसे पारंपरिक गीतों के साथ वे देवी को प्रसन्न करने के लिए मन्नतें मांगती हैं। पूजन के दौरान पीपल की पूजा, सूर्यदेव को अघ्र्य देने और फल चुनने की परंपरा निभाई जाती है।
शाम होते ही विभिन्न मार्गों पर घुड़ला निकालने की परंपरा निभाई जाती है। घुड़ला में दीप जलाकर महिलाएं समूह में नृत्य और गायन करती हैं। इन दिनों कलक्ट्रेट मार्ग, गड़ीसर मार्ग, मुक्तेश्वर मंदिर मार्ग, नगरपरिषद रोड और गोपा चौक जैसे प्रमुख स्थानों पर मंगल गीत गाती युवतियां नजर आ रही हैं।
गणगौर पूजन में कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर की कामना से पूरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं।