Fire in CG Hospital: जांजगीर-चांपा जिले में जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में देर रात फिर भीषण आगजनी से जिला अस्पताल प्रबंधन की लचर व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी।
Fire in CG Hospital: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में देर रात फिर भीषण आगजनी से जिला अस्पताल प्रबंधन की लचर व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। इससे ठीक छह माह पहले भी यहां आगजनी की घटनाएं हो चुकी है।
इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने सबक नहीं ली। लापरवाही की इस घटना ने जिम्मेदारों के मुंह पर कालिख पोतने के समान है। यहां पर बड़ा सवाल यह है कि क्या जिम्मेदारों ने आग से निपटने कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए थे। यदि मरीजों के वार्ड में आग लगती तो क्या होता।
जिला अस्पताल में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात 3 बजे जिला अस्पताल में आगजनी से अफरा-तफरी मच गई। रिकार्ड रूम में आगजनी से जननी सुरक्षा योजना व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल थे। आखिर जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में ही आग क्यों लगी। बाकी जगह आग की लपटें पहुंची भी नहीं है। आग लगने में अस्पताल प्रबंधक की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा है। क्योंकि जिला अस्पताल में जेडीएस भर्ती व अस्पताल प्रबंधक पर फर्जीवाड़े की कई शिकायतें हुई है। इसे मिटाने के लिए आग लगाने की चर्चाएं हो रही है।
जिला अस्पताल के इलेक्ट्रिशियन का कहना है कि हाल ही में पूरा जिला अस्पताल परिसर में नई वायरिंग की गई और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी किए गए हैं। रिकार्ड रूम में आग लगने के बावजूद न तो अस्पताल परिसर की बिजली गुल हुई और न ही कोई सर्किट कटा। इससे स्पष्ट है कि शार्ट सर्किट तो नहीं है। अस्पताल के स्टाफ पहुंचकर बिजली सप्लाई बंद कर कुछ दस्तावेज बचाने की कोशिश किए, लेकिन विफल रहे।
जांजगीर-चांपा के जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में देर रात फिर भीषण आगजनी से जिला अस्पताल प्रबंधन की लचर व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। इससे ठीक छह माह पहले भी यहां आगजनी की घटनाएं हो चुकी है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने सबक नहीं ली। लापरवाही की इस घटना ने जिम्मेदारों के मुंह पर कालिख पोतने के समान है। यहां पर बड़ा सवाल यह है कि क्या जिम्मेदारों ने आग से निपटने कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए थे। यदि मरीजों के वार्ड में आग लगती तो क्या होता।
जिला अस्पताल में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात 3 बजे जिला अस्पताल में आगजनी से अफरा-तफरी मच गई। रिकार्ड रूम में आगजनी से जननी सुरक्षा योजना व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल थे। आखिर जिला अस्पताल के रिकार्ड रूम में ही आग क्यों लगी। बाकी जगह आग की लपटें पहुंची भी नहीं है। आग लगने में अस्पताल प्रबंधक की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा है। क्योंकि जिला अस्पताल में जेडीएस भर्ती व अस्पताल प्रबंधक पर फर्जीवाड़े की कई शिकायतें हुई है। इसे मिटाने के लिए आग लगाने की चर्चाएं हो रही है।
जिला अस्पताल के इलेक्ट्रिशियन का कहना है कि हाल ही में पूरा जिला अस्पताल परिसर में नई वायरिंग की गई और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी किए गए हैं। रिकार्ड रूम में आग लगने के बावजूद न तो अस्पताल परिसर की बिजली गुल हुई और न ही कोई सर्किट कटा। इससे स्पष्ट है कि शार्ट सर्किट तो नहीं है। अस्पताल के स्टाफ पहुंचकर बिजली सप्लाई बंद कर कुछ दस्तावेज बचाने की कोशिश किए, लेकिन विफल रहे।