जांजगीर चंपा

Unique Temple in CG: वफादारी का अहसास होने पर कुत्ते की याद में बनवा दिया मंदिर, जानें पूरी कहानी..

CG Exclusive News: जांजगीर-चांपा जिले में श्वान को वफादार जानवर का प्रतीक माना जाता है। ऐसे ही वफादार जानवर के कार्य से प्रभावित होकर एक व्यापारी ने उसकी याद में एक विशाल मंदिर का निर्माण कर दिया।

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Unique Temple in CG: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में श्वान को वफादार जानवर का प्रतीक माना जाता है। ऐसे ही वफादार जानवर के कार्य से प्रभावित होकर एक व्यापारी ने उसकी याद में एक विशाल मंदिर का निर्माण कर दिया। भले ही आज मंदिर खंडहर हो चुका है लेकिन आज भी गांव में श्वान का मंदिर वफादारी का प्रमाण बना हुआ है।

जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखंड के गांव महुदा में 16 वीं शताब्दी में बना एक मोतिया मंदिर है। यह वफादारी का प्रतीक माना जाता है। श्वान ने अपने मालिक के प्रति वफादारी निभाई थी, परंतु उसके मालिक ने उसे दगाबाज समझकर मार दिया। बाद में गले मेे बंधी चिट्ठी से जब राज खुला तो उसके मालिक व्यापारी ने अपने वफादारी साथी की याद में मंदिर बनवा दिया।

Unique Temple in CG: यह है कहानी

महुदा गांव के बुजुर्ग अर्जुन शुक्ला एवं कंसराम बताते हैं कि उस समय रतनपुर व्यावसायिक राजधानी हुआ करता था। जहां नायक नाम के एक व्यापारी ने रतनपुर के मालगुजार से कर्ज लिया था। वह कर्ज की राशि वापस नहीं कर पाया। इसके एवज में व्यापारी ने अपने वफादार श्वान को मालगुजार के पास छोड़ दिया। इसी दौरान मालगुजार के घर में चोरी हो गई। श्वान 'मोती सब देखता रहा। चोरी की जानकारी होने पर मालगुजार ने मोती को बहुत मारा। उसने कहा कि अगर तूने आवाज दिया होता तो चोरी नहीं होती।

मोती के इशारे को मालगुजार नहीं समझ रहा था। बाद में श्वान के इशारे को समझकर मालगुजार तालाब के पास पहुंचा। तालाब में देखा तो सारा चोरी हुआ सोना वहां पड़ा था। श्वान की वजह से सारा सोना मिलने की खुशी में व्यापारी ने नायक का सारा कर्ज माफ कर दिया और कर्ज मुक्त करने का पत्र लिखकर उसे श्वान के गले में बांधकर वापस भेज दिया।

श्वान जब लौटा तो तालाब के पास उसे व्यापारी ने देखा तो उसे लगा कि श्वान मालगुजार के घर से भागकर आ गया है। इससे आवेश में आकर डंडे से पीटकर हत्या कर दी। बाद में श्वान के गले में लटका पत्र को देखकर नायक व्यापारी को बहुत अफसोस हुआ। इसके श्वान की वफादारी के याद में तालाब के किनारे ही मंदिर बनवा दिया।

पुरातत्व विभाग ने किया नजरअंदाज

मंदिर के गर्भगृह व चारों ओर दरवाजे बने हुए हैं। शिखर पर गुम्बद बना हुआ है, जिसमें प्राचीन शिलालेख लगे थे। देखरेख के अभाव में मंदिर जर्जर हो चुका है। पुरातात्विक धरोहर होने के बावजूद दर्जा नहीं मिल पाया है। इस स्थल को संरक्षण करने की आवश्यकता है। इस पर पुरातत्व विभाग वाले आए थे, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर दिया।

Published on:
03 Mar 2025 08:20 am
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