34 करोड़ रुपए प्रीमियम जमा करवाया, 4 करोड़ रुपए मुआवजा मिला
- कई किसान मुआवजे की आस में
झालावाड़. पिछले साल बारिश ने जिले में खेतों में फसलें बरबाद कर दी। जिन किसानों की फसल का बीमा हो रहा था, उन्हें उम्मीद थी कि फसल बीमा का मुआवजा मिलेगा, जिससे नुकसान की भरपाई हो जाएगी, लेकिन जब उनकी खातें में मुआवजे की राशि आई तो सारी खुशिया काफूर हो गई। ऐसे में इस बार अतिवृष्टि से हुए नुकसान के मुआवजे को लेकर किसान चिंति है।
झालावाड़ जिले वर्ष 2024 में 1लाख 33 हजार 554 किसानों ने फसल बीमा कराया था। इसके लिए किसानों ने करीब बीमा कंपनियों को 34 करोड़ का प्रीमियम जमा करवाया था। इसके अलावा राज्य व केन्द्र ने अपने अंशदान के रूप में 45.45 करोड़ अलग प्रीमियम जमा कराया था। इसके बदले में किसानों को पिछले साल हुए नुकसान के मुआवजे के रुप में अब तक 3 करोड़ 94 लाख रुपए ही मिले है।
किसानों का कहना है कि फसल बीमा के नाम पर कंपनियां जमकर चांदी कूट रही है। किसानों से करोड़ों रुपए प्रीमियम जमा करवा लेती है, लेकिन जब उन्हें खराबे का मुआवजा देने की बात आती है तो बीमा कंपनियां तरह-तरह के नियम और शर्तें लगाकर हाथ खड़े कर देती है।
किसान महेश मेहर ने बताया कि बीमा कंपनियां सर्वे के नाम पर खानापूर्ति करती है। खराबा प्रभावित क्षेत्रों का सही से आकलन नहीं होता है। यही वजह है कि मुआवजा राशि कम दी जाती है। बीमा कंपनियों ने पिछले साल जिले में सिर्फ रायपुर तहसील में ही खराब माना गया, जबकि अन्य इलाकों में फसलों को काफी नुकसान हुआ था। किसानों ने आरोप लगाया कि उनके खेतों में 80 से 90 फीसदी तक खराबा हुआ थी, लेकिन कंपनियों ने सर्वे रिपोर्ट में 20 से 40 फ ीसदी तक ही नुकसान दिखाया। ऐसे में उन्हें मुआवजा नहीं मिला।
किसानों का कहना है कि बीमा दावों के मामले में न तो किसानों को बीमा क्लेम देने के मामले में न तो केन्द्र और न ही राज्य सरकार ध्यान दे रही है। सरकार को बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। यदि किसान प्रीमियम दे रहा है तो उसे उसकी मेहनत का सही मुआवजा भी मिलें। जिले में अधिकांश किसान पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर है। फसल की बर्बादी के बाद दावा राशि से कम मुआवजा मिलना घाटे का सौदा है।
तहसील मुआवजा मिला
अकलेरा 29 लाख
असनावर 17 लाख
बकानी 18 लाख
डग 26 लाख
गंगधार 20 लाख
झालरापाटन 20 लाख
खानपुर 15 लाख
मनोहरथाना 12 लाख
पचपहाड 71 लाख
पिड़ावा 21 लाख
रायपुर 83 लाख
सुनेल 68 लाख
फैक्ट फाइल.
. 775707- बीमा पॉलिसी हुई
. 167382.92- हैक्टेयर भूमि का बीमा हुआ
. 133554- किसानों ने बीमा करवाया
. 340773351.77 रुपए- किसानों ने प्रीमियम जमा करवाया
. 457854164.7 रुपए राज्य सरकार ने प्रीमियम जमा करवाया
. 457854164.7 रुपए केन्द्र सरकार ने प्रीमियम जमा करवाया
मैंने खरीफ 2024 में 2.92 हैक्टेयर सोयाबीन का बीमा प्रीमियम 2445 रुपए जमा किया था। जोरदार बारिश होने से खेत में कटी फ सल जमींदोज हो गई थी। व्यक्तिगत एप के माध्यम से शिकायत भी दर्ज करवाई। बीमा कंपनी का सर्वेयर भी देखने आया। लेकिन आज तक बीमा नहीं मिला। मुझे बीमा क्लेम के हिसाब से करीब 1लाख 22 हजार 354 रुपए बीमा मिलना था।
मैंने प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत 7.91 हैक्टेयर में फसल बीमा करवाया था। मेरे खाते से 6824 रुपए प्रीमियम जमा हुई। मेरी सोयाबीन की फसल करीब 65 फीसदी खराब हो गई थी। मुझे मुआवजे के रूप में सिर्फ 9943 रुपए मिले। जबकि3 लाख 31 हजार 452 रुपए मिलने चाहिए थे। लेकिन बीमा कंपनी की गलत नीति की वजह से बहुत कम राशि मिली है
खरीफ 2024 में मेरे खाते से 5 बीघा जमीन के बीमा का प्रीमियम 3851 कटा था। लेकिन मुझे आज तक एक भी रूपया मुआवजा नहीं मिला। जबकि मेरी सोयाबीन पूरी तरह से खराब हो गई थी। अगर 60 से70 फीसदी भी खराबा मानते तो मुझे बीमा क्लेम मिलता और खाद-बीज वाले की उधारी चुकती।
पिछले वर्ष खरीफ में बेमौसम बरसात की वजह से सोयाबीन की कटी हुई फसलों पर जोरदार पानी बरस गया था। खड़ी हुई फसल यदि खराब होती है तो बीमा के दायरे में नहीं मानते हैं, लेकिन झालावाड़ जिले में पिछले खरीफ में एप व व्यक्तिगत शिकायत करने के बाद भी बीमा क्लेम नहीं मिला। ऐसे में बीमा कंपनी की शर्तों में बदलाव किया जाना चाहिए।