Jhalawar Lok Sabha Result Live Update : राजस्थान में बीजेपी के लिए अगर कोई सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है तो वह झालावाड़-बारां लोकसभा सीट है। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। जहां उनका मुख्य मुकाबला पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी एवं कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया से है।
झालावाड़। राजस्थान में बीजेपी के लिए अगर कोई सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है तो वह झालावाड़-बारां लोकसभा सीट है। यहां 1989 से अबतक लगातार बीजेपी जीत दर्ज करती आ रही है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह (Dushyant Singh) पिछले 35 सालों से झालावाड़ संसदीय क्षेत्र की जनता का विश्वास जीतते रहे हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। जहां उनका मुख्य मुकाबला पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी एवं कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया (Urmila Jain Bhaya) से है। 26 अप्रैल को दूसरे चरण में यहां वोटिंग हुई। अब इंतजार इसके परिणाम का है।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव से यह क्षेत्र झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र कहलाता है और इसमें आजादी के बाद से अब तक हुए सत्रह चुनावों में सर्वाधिक नौ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधितव मां-बेटे (वसुंधरा राजे- दुष्यंत सिंह) ने ही किया हैं। वसुंधरा राजे 1989 में झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में पार्टी का खाता खोला। इसके बाद अगले चार चुनाव 1991, 1996, 1998 एवं 1999 लगातार जीतकर पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 2004 का चुनाव दुष्यंत सिंह लड़े और जीत दर्ज की। 2009, 2014 एवं 2019 का चुनाव जीतकर दुष्यंत इस क्षेत्र से चार बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया और पांचवीं बार जीतने के लिए चुनाव मैदान में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी के लिएजीत का प्यास बुझना है मुश्किल
झालावाड़ और बारां जिले में 8 विधानसभाएं हैं, जिसमें 7 सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। यह तीसरी बार है जब जैन परिवार- राजे परिवार आमने-सामने हैं। इससे पहले 2009 में उर्मिला और 2014 में उनके पति प्रमोद जैन चुनावी मैदान में थे। दोनों बार बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। इस बार स्थिति बदलेगी? इसकी संभावनाएं कम ही है।