– – देहरादून से लाए थे रेन बसेरे को झालावाड़. करीब १२ साल बाद रेन बसेरा फिर से जीवंत होने वाला है। नया रेन बसेरा बाहर से भले ही सीमेंट कंक्रीट का बनाया गया है, लेकिन अंदर से इसे पुराने स्वरूप में ही आकार दिया गया है। इसे आज ही के दिन यानी 29 अगस्त […]
- - देहरादून से लाए थे रेन बसेरे को
झालावाड़. करीब १२ साल बाद रेन बसेरा फिर से जीवंत होने वाला है। नया रेन बसेरा बाहर से भले ही सीमेंट कंक्रीट का बनाया गया है, लेकिन अंदर से इसे पुराने स्वरूप में ही आकार दिया गया है। इसे आज ही के दिन यानी 29 अगस्त 1937 को महाराजा राजेन्द्र सिंह ने कृष्ण सागर तालाब के किनारे स्थापित करवाया था। इसके प्राकृतिक नजारे को देखने के लिए यहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते थे,यहां लगी धूप घड़ी आकर्षक का केन्द्र थी, लेकिन १२.१२.२०१२ को काठ का रेन बसेरा को असामाजिक तत्वों ने जलाकर नष्ट कर दिया था। लेकिन इसके लिए राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड जयपुर ने 2 करोड़ 9 लाख का बजट जारी किया है, अब इसे काठ के रेन बसेरे की तरह ही नए स्वरूप में निखारा जा रहा है।
यह शहर के लिए एक अनूठी इमारत थी। ऐसे दिया मूर्त रूप- रेन बसेरा के निर्माण में 25 पाइल फाउंडेशन और 25 पिलर किया गा है, यह न केवल मजबूत होगा बल्कि लंबे समय तक टीका रहेगा। इसके हर पिलर पर और अंदर से सब जगह वुडन किया जा रहा है।इसकी लकड़ी ऐसी होगी जो लंबे समय तक खराब न हो और जिसकी चमक बनी रहे। साथ ही इसकी छत को भी पुराने रेन बसेरा की तरह ही डिजाइन किया गया है। इसमें कवेलू जैसा आकार दिया गया है।
यह दो मंजिला भवन देवदार की लकड़ी से बना था। सन 1936 में देहरादून के वन अनुसंधान,संस्थान ने लखनऊ की भारतीय औद्योगिक संघ की प्रदर्शनी में इसे प्रदर्शित किया था। उस समय झालावाड़ के महाराज राजेन्द्र सिंह को यह बहुत पसन्द आया और इसे खरीदकर झालावाड़ में कृष्ण सागर तालाब के किनारे 29 अगस्त 1937 को स्थापित करवाया। इसके बाद इसमें स्नानागार, शौचालय, बरामदा व भंडार कक्ष बनाए गए। इसमें पत्थर से बनी एक धूप घड़ी भी थी।
रैन बसेरा जलने के बाद इस घड़ी को सुरक्षित रखा गया है। काष्ठ कला का बेहतरीन नमूना यह इमारत 12 दिसंबर 2012 को अपरिहार्य कारणों से रात करीब 2 बजे आग लगने से जल कर राख हो थी। मनोरम दृष्य देखने आएंगे लोग खुशी है कि रेन बसेरा हमें पुराने स्वरूप में मिल सकेगा।
इससे पहले की तरह यहां फिर से देशी-
विदेशी पर्यटक आकर इसके मनोरम दृश्य को निहार सकेंगे। इसके लिए लगातार प्रयास किए गए। यहां पार्क बना कर उसमें मनोरंजन के लिए झूले आदि भी लगाए जाने चाहिए।
ओम पाठक, संयोजक, पर्यटन विकास समिति
रेन बसेरा लगभग फाइनल स्थिति में है। अंदर का पूरा काम वुडन का है। इससे यह पुराने जैसा लगे, इसके लिए दो करोड़ 9 लाख का बजट मिला था। अब लाइट कनेक्शन लेना बाकी है, जल्दी ही इसका उद्घाटन करवाया जाएगा।
मुकेश मीणा, अधीक्षण अभियंता,सार्वजनिक निर्माण विभाग, झालावाड़।