शिवराज तंवर कक्षा आठवीं से ही लेपटॉप विजेता भी रहे, उन्होंने कक्षा आठवीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, जिससे उनको सरकार द्वारा पारितोषिक के रूप में लेपटॉप दिया गया।
होकम चंद लोधा
Success Story: मेहनत का कोई विकल्प नहीं....। शुरू से शिक्षा सरकारी विद्यालय में हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए पीछे नही हटे, पैसे उधार लेकर बीएड किया ,कोचिंग पढ़ाने के साथ सेल्फ स्टडी जारी रखी। रीट 2021 में काफी अच्छे अंक थे लेकिन वह परीक्षा भी रद्द हो गई सपना चूर-चूर हो गया। इस दौरान मानसिक तनाव भी झेलना पड़ा लेकिन हार नहीं मानी और निरंतर पढ़ाने के साथ स्वयं भी पढ़ते रहे। यह दास्ता है कस्बे के शिवराज तंवर की।
शिवराज तंवर कक्षा आठवीं से ही लेपटॉप विजेता भी रहे, उन्होंने कक्षा आठवीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, जिससे उनको सरकार द्वारा पारितोषिक के रूप में लेपटॉप दिया गया। दसवीं में 81.5 प्रतिशत अंक , बारहवीं कक्षा में भी 86.6.अंक प्राप्त किया फिर सरकार ने पुरस्कार में लेपटॉप दिया।
शिवराज तंवर का प्रयास रंग लाया, आखिरकार मेहनत रंग लाई 2023 में पहली भर्ती में प्रयोगशाला सहायक में चयन फिर उसके बाद तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती में चयन हुआ, अब2024 में राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित वरिष्ठ अध्यापक भर्ती संस्कृत शिक्षा विभाग में विज्ञान विषय में 22 वी रैंक हासिल की। जिले के सरडा गांव के शिवराज तंवर का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ, विपरित परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत से यहां तक पहुंचे और बेरोजगारों के लिए रोल मॉडल साबित हुए।
जीवन में असफलता से हार नहीं मानना चाहिए, असफलता से हमे सफलता हासिल करने का लक्ष्य मिल जाता है, इसलिए हमें हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए, सफलता एक ना एक दिन मिल ही जाती हैं, सफलता का एक ही मूल मंत्र हैं अनवरत रूप से मेहनत और प्रयास करते रहना चाहिए।