Jhalawar News: झालावाड़ में कड़ाके की ठंड में एक नवजात शिशु को झाड़ियों में फेंके जाने का दर्दनाक मामला सामने आया। शिशु को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है और हालात अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
Rajasthan Newborn Found Abandoned: झालावाड़ शहर के भोई मोहल्ले में गुरुवार रात को कड़कड़ाती सर्दी में झाड़ियों में मिले नवजात का हीरा कुंवर बा महिला चिकित्यालय के आइसीयू में इलाज जारी है। उसे चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने शुक्रवार को अस्पताल में जाकर शिशु को देखा। तत्काल मिले उपचार के बाद नवजात की हालत अब सामान्य बताई जा रही है। हालांकि नवजात के शरीर पर झाड़ियों के कांटों से घाव हो गए है। उन्होंने उसके उपचार के बारे में जानकारी ली।
कोतवाली पुलिस ने शुक्रवार को घटनास्थल का मौका मुआयना किया। पुलिस उसके परिजनों की तलाश में जुट गई है। घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे है। नवजात को गुरुवार रात जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उस समय तक नवजात की गर्भनाल तक नहीं काटी गई थी। सबसे पहले नवजात को भर्ती कर गर्भनाल काटी और इलाज शुरू किया गया।
नवजात का इलाज कर रही डा. अंजू ने बताया कि जब उसे भर्ती कराया था, तब वह बहुत ठंडा हो रहा था। उसे सांस लेने में परेशानी आ रही थी। इस पर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। इसके बाद बच्चे के शरीर पर कांटो के घाव को साफ कर मरहम पट्टी की गई। देर रात तक बच्चे को सांस लेने में परेशानी आ रही थी। इस पर लगातार उसकी निगरानी की गई। जैसे ही बच्चा स्थिर अवस्था में आया तो उसे दूध पिलाया गया। बच्चे के जल्दी स्वस्थ होने की संभावना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. साजिद खान ने कहा कि यदि कोई नवजात को अपने पास रखने के लिए इच्छुक नहीं है तो वे नवजात को इधर उधर फैकने के बजाय चिकित्सा विभाग के पालना गृह में दें दे। संबधित की पहचान गुप्त रखी जाएगी। यह पालना गृह हीरा बॉ कॅवर जनाना चिकित्सालय झालावाड़ के मुख्य द्वार के दाहिनी ओर संचालित है। इसे इलेक्ट्रोनिक सिस्टम से जोड़ा गया है।
चिकित्सा विभाग आमजन से अपील करता है कि वे अनचाहे नवजात को बच्चों को नाले, झाडि में या इधर-उधर ना फेंके। उस नवजात को पालना गृह में छोड कर जा सकेते हैं। बच्चें को छोडकर जाने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है। वर्ष 2016 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से पालना गृह संचालित है।
पालना गृह में बच्चें को छोडकर जाने के बाद चिकित्सा विभाग की टीम बच्चें का स्वास्थ्य परीक्षण कर उचित उपचार देती है। उसके उपरान्त जिला कलक्टर को इसकी सूचना दी जाती है ताकि बच्चे को गोद लेने वाले माता-पिता को इन नवजात का निर्धारित प्रशासनिक व न्यायिक प्रकिया उपरान्त गोद दिया जाता है।
राजस्थान पत्रिका में नवजात शिशु के बारे में खबर प्रकाशित होने के बाद जिला बाल कल्याण समिति ने शुक्रवार को जनाना अस्पताल पहुंचकर झाड़ियों में मिले नवजात के स्वास्थ्य की जानकारी ली। समिति अध्यक्ष शिवराज सिंह हाड़ा ने बताया कि जनाना अस्पताल अधीक्षक को इसकी देखभाल और इलाज में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं रखने के निर्देश दिए हैं। सअभी यशोदा को देखभाल के लिए रखा जाए।
समिति के संरक्षण में लेने पर इसकी देखभाल शिशु गृह की आया करेगी। उनके साथ सदस्य गजेंद्र कुमार सेन, बबली मीणा, पूर्णिमा सिकरवार, मैनेजर एवं कोऑर्डिनेटर दीपक गौतम, शारिक बैग व मानसिंह भी मौजूद थे।
कोतवाली पुलिस ने शुक्रवार सुबह को भोई मोहल्ला जाकर घटनास्थल का मौका मुआयना किया। पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी के फुटेज खंगाल रही है। कई संदिग्ध लोगों से पूछताछ भी की। एसपी अमिर कुमार ने बताया कि जल्दी ही नवजात के परिजनों का पता लगा लिया जाएगा।
एसपी अमित कुमार ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में नवजात शिशु को झाड़ियों से निकालकर तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने पर राजस्थान पत्रिका के फोटो जर्नलिस्ट नंदकिशोर कश्यप, उनका सहयोग करने वाले राजीव वर्मा, राम कश्यप, मनीष कश्यप, मोंटू कश्यप और सौरभकश्यप को सम्मानित किया।
उन्होंने सभी को प्रशंसा पत्र भेंट किया। एसपी ने कहा कि ऐसे समय में जब परिजनों ने निर्ममता दिखाई, उस समय नंद किशोर और उनके सहयोगियों ने मानवीयता की उत्कृष्ट मिसाल पेश की। फोटो जर्नलिस्ट होते हुए भी उन्होंने कैमरे से पहले इंसानियत को चुना।