Unique Initiative: पूरे गांव में पढ़े.लिखे लोगों की संख्या बहुत कम है गांव में ही बच्चों की पढ़ाई के लिए बिना किसी बाधा के लगातार चलती रहे इसलिए उन्होंने अपना मकान स्कूल चलाने के लिए दे दिया है।
Jhalawar School Roof Collapse: झालावाड़ के पिपलोदी में रहने वाले आदिवासी भील समुदाय के मोर सिंह खुद को तो निरक्षर है लेकिन वे चाहते है कि गांव के बच्चे उनकी तरह अशिक्षित नहीं रहे इसलिए उन्होंने गत 25 जुलाई को गांव में हुए हादसे के बाद अस्थाई स्कूल संचालन के लिए खुद का पुश्तैनी पक्का मकान शिक्षा विभाग को निशुल्क दे दिया। अब खुद वे परिवार के आठ सदस्यों के साथ खेत के पास लकड़ी और बरसाती तिरपाल की टापरी बनाकर रह रहे हैं। इस सराहनीय कार्य के लिए झालावाड़ में शुक्रवार को स्वाधीनता दिवस के जिला स्तरीय मुख्य समारोह में जिला प्रशासन उनका सम्मान करेगा।
मोर सिंह के पास पक्का पुश्तैनी मकान है, जिसमें दो पक्के कमरे और बरामदा है। हादसे के बाद गांव में जब अस्थाई भवन की तलाश शुरू हुई तो मोर सिंह आगे आए और खुशी से निशुल्क अपना मकान दे दिया। पहले तो परिजनों ने इसका विरोध किया लेकिन मोर सिंह दृढ़ निश्चय को देखते हुए बाद में वे मान गए। इसके बाद मोर सिंह ने करीब तीन सौ रुपए की लागत से खेत के पास टापरी बना ली।
मोर सिंह का कहना है कि वह खुद निरक्षर व्यक्ति हैं। पूरे गांव में पढ़े.लिखे लोगों की संख्या बहुत कम है गांव में ही बच्चों की पढ़ाई के लिए बिना किसी बाधा के लगातार चलती रहे इसलिए उन्होंने अपना मकान स्कूल चलाने के लिए दे दिया है। जब तक पिपलोदी में नया स्कूल भवन बनकर तैयार नहीं हो जाता, तब तक उनके मकान में स्कूल का संचालन होता रहेगा। भले ही एक़ साल या दो साल लगें। उन्हें मकान का कोई किराया नहीं चाहिए।
मोर सिंह के पास दो बीघा जमीन है और कुछ बकरियां है। जिससे उनका गुजर बसर होता है। उनकी दो बेटियां है, दोनों ही पास के गांव के स्कूल में बारहवीं और नवीं में अध्ययनरत है।
पिपलोदी स्कूल हादसे के दर्दनाक मंजर को मोर सिंह नहीं भूल रहे। घटना के दृश्य उनके आंखों के सामने घूमते रहते है।