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Jhalawar School Roof Collapsed: कुंदन नहीं जा रहा था स्कूल, अब परिजनों को मलाल… काश!

मृतक बच्चों में एक छात्र स्कूल नहीं जा रहा था, लेकिन माता-पिता ने पढ़ाई के नुकसान का हवाला देकर उसे स्कूल भेजा।

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Photo- Patrika Network

Jhalawar News: राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पिपलोदी का भवन गिरने से दबकर अकाल मौत का शिकार हुए बच्चों के गम में डूबे ग्रामीण उनकी और उनके परिवार ही बातें करते नजर आए। स्कूल जाने से पहले बच्चों की अंतिम बार की गई बातें रह-रहकर याद आ रही थी। मृतक बच्चों में एक छात्र स्कूल नहीं जा रहा था, लेकिन माता-पिता ने पढ़ाई के नुकसान का हवाला देकर उसे स्कूल भेजा। उसके परिजन रो-रो कर दुःख जता रहे थे कि काश उसे नहीं भेजा होता।

चार बहनों में इकलौता था कार्तिक

मृतक कार्तिक (8 वर्ष) की बुआ संजू बाई ने बताया कि कार्तिक कक्षा चार का छात्र था। वह चार बहनों में इकलौता था, जो सबसे छोटा था। उसकी बहिन आरती कक्षा सात व मनीषा कक्षा 6 में पढ़ती है वे भी घायल हो गई है।

स्कूल नहीं जा रहा था कुंदन

कक्षा चार का छात्र कुंदन शुक्रवार को स्कूल नहीं जा रहा था। सुबह परिजनों ने कहा कि बेटा कल भी स्कूल नहीं गया था, आज तो चला जा फिर रविवार की छुट्टी आ रही है। परिजनों को इस बात का मलाल है कि काश, बच्चे की बात मान ली होती तो शायद ये घटना नहीं होती।

गांव वालों ने बचाया

अस्पताल में भर्ती घायल विजय ने बताया कि स्कूल की छत अचानक से गिर गई, मिट्टी हटाकर हमें गांव वालों ने बाहर निकाला। छात्रा चिंकी ने बताया कि अचानक से छत गिरी हम तो बाहर भागकर आ गए।राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पिपलोदी का भवन गिरने से दबकर अकाल मौत का शिकार हुए बच्चों के गम में डूबे ग्रामीण उनकी और उनके परिवार ही बातें करते नजर आए। स्कूल जाने से पहले बच्चों की अंतिम बार की गई बातें रह-रहकर याद आ रही थी। मृतक बच्चों में एक छात्र स्कूल नहीं जा रहा था, लेकिन माता-पिता ने पढ़ाई के नुकसान का हवाला देकर उसे स्कूल भेजा। उसके परिजन रो-रो कर दुःख जता रहे थे कि काश उसे नहीं भेजा होता।

7 बच्चों किया गया अंतिम संस्कार

झालावाड़ जिले के मनोहर थाना उपखंड के पीपलोदी गांव में हुए स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई। जिनका शनिवार को अंत्येष्टि की गई। पिपलोदी गांव 6 बच्चों की अत्येष्टि की गई, जबकि एक बच्चे को पास के गांव चांदपुरा भीलान ले जाया गया। शमशान में सभी लोगों की अंतिम क्रिया एक साथ की गई तथा पांच चिताओं पर छह बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया। जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें से अधिकांश की उम्र 7 से 10 साल के बीच है।


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