Jhunjhunu News: शेखावाटी की जीवन रेखा मानी जाने वाली काटली नदी को खनन माफिया ने बुरी तरह से छलनी कर दिया। सर्वे रिपोर्ट में झुंझुनूं से लेकर चूरू जिले तक काटली नदी का नामोनिशान नहीं मिला।
अरुण शर्मा
पचलंगी (झुंझुनूं)। शेखावाटी की जीवन रेखा मानी जाने वाली काटली नदी को खनन माफिया ने बुरी तरह से छलनी कर दिया। नदी के बहाव क्षेत्र में न केवल बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है, बल्कि कच्चे और पक्के निर्माण भी कर लिए गए हैं।
खास बात यह है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बावजूद अवैध खनन और अतिक्रमण के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जबकि एनजीटी के आदेश पर अजमेर में आनासागर झील के पास बने सेवन वंडर्स, फूड कोर्ट आदि को हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी।
एनजीटी ने जल संसाधन विभाग को निर्देश दिए थे कि वह काटली नदी की भौगोलिक स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर संबंधित जिला कलक्टर की वेबसाइट पर प्रकाशित करें। साथ ही नदी के प्रभावित लोगों से आपत्तियां लेकर कार्रवाई की जाए, लेकिन सात महीने से अधिक का समय बीतने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
एनजीटी के आदेशों की अवहेलना को देखते हुए पर्यावरण प्रेमी अमित कुमार और कैलाश मीणा ने पुन: एनजीटी में याचिका दायर की। एनजीटी ने राज्य सरकार और संबंधित विभागों से एक मई तक जवाब मांगा है, जिसमें यह स्पष्ट करना होगा कि आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया।
एनजीटी के आदेश पर भारतीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने काटली नदी की जांच की थी। सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि नदी में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और अतिक्रमण हो रहा है। झुंझुनूं से लेकर चूरू जिले तक काटली नदी का नामोनिशान नहीं मिला।
एनजीटी के आदेशों के अनुसार रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रिपोर्ट का काम नीमकाथाना और गुढ़ागौड़जी में शुरू हो चुका है और शीघ्र ही अन्य स्थानों पर भी कार्य शुरू किया जाएगा।
-नथमल खेदड़, जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता