- रात्रिगश्त को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस कमिश्नर राजेन्द्रसिंह ने व्यवस्था में किया बदलाव
जोधपुर।
नाइट पेट्रोलिंग यानि रात्रिगश्त करने वाले पुलिस अधिकारी व सिपाही अब सीधे ही अपनी मर्जी से गश्त पर नहीं निकलेंगे। रात 12 बजे मोबाइल चैकिंग अधिकारी ट्रैफिक ऑफिस पहुंचेंगे, जहां बतौर जनरल गश्त अधिकारी अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त सभी मोबाइल चैकिंग अधिकारी को न सिर्फ ब्रीफ करेंगे बल्कि उन्हें कोई न कोई टास्क देंगे और फिर सभी गश्त के लिए निकलेंगे।
पुलिस कमिश्नर राजेन्द्रसिंह ने बरसों से चल रही पारम्परिक गश्त में यह बदलाव किया है। ताकि पुलिस समुचित तरीके से गश्त करें और गश्त प्रभावी बन सके।
नई व्यवस्था के तहत शुक्रवार रात 12 बजे सभी मोबाइल चैकिंग अधिकारी ट्रैफिक ऑफिस पहुंचे, जहां जनरल गश्त अधिकारी एडीसीपी पूर्व नाजिम अली ने सभी को रात्रिगश्त में चोरी, नकबजनी और अन्य वारदातों की रोकथाम व बदमाशों की धरपकड़ की कार्ययोजना से अवगत करया। उन्होंने गश्त के दौरान सभी को एक टास्क भी दिया। साथ ही नाकाबंदी कर रात को निकलने वाले संदिग्ध व्यक्ति व वाहनों की जांच कर नाम-पते व वाहन के पंजीयन नम्बर नोट करने के निर्देश दिए।
थाना क्षेत्र में निकलते, पुलिस-होमगार्ड चेक करते थेरात्रिगश्त के दौरान अब तक पुलिस रात 12 बजे सीधे थानों से अपने-अपने क्षेत्र में निकलती थी। पुलिस कन्ट्रोल रूम को वायरलैस सैट लोकेशन बता दी जाती थी। चैकिंग अधिकारी विभिन्न पाॅइंट्स पर तैनात पुलिसकर्मियों या होमगार्ड को चेक करते थे। सुबह 5 बजे तक गश्त की इतिश्री कर ली जाती थी।
जिले में एडीसीपी होते हैं जनरल गश्त अधिकारी
जिले में हर रात अलग-अलग अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त की जनरल चैकिंग अधिकारी के तौर पर ड्यूटी लगती है। अमूमन कमिश्नरेट के दोनों जिलों में पृथक पृथक एडीसीपी गश्त करते हैं। इनके अलावा सर्कल में सहायक पुलिस आयुक्त और फिर थानाधिकारी की गश्त ड्यूटी रहती है।