जीरा की कीमतों में आई ऐतिहासिक गिरावट ने किसानों और व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। तीन वर्ष पहले 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकने वाला जीरा अब 17 से 18 हजार रुपए पर पहुंच गया है।
बिलाड़ा (जोधपुर)। जीरा की कीमतों में आई ऐतिहासिक गिरावट ने किसानों और व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। तीन वर्ष पहले 65 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकने वाला जीरा अब 17 से 18 हजार रुपए पर पहुंच गया है। इस गिरावट से न केवल किसानों की उम्मीदें टूटी हैं, बल्कि स्टॉकिस्ट और व्यापारी भी आर्थिक संकट में फंस गए हैं।
बिलाड़ा, खारिया मीठापुर, उदलियावास, कालूणा, बोरुंदा, जैलवा, पिचियाक आदि गांवों में बड़ी संख्या में किसानों ने इस वर्ष जीरे की बुवाई की थी। पिछले वर्ष मिले अच्छे भावों को देखते हुए किसानों ने महंगे बीज खरीदे और लाखों रुपए की लागत में दवाइयों व खाद का उपयोग किया। लेकिन इस बार देश के कई हिस्सों में जीरे की बंपर पैदावार और अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट के चलते भाव औंधे मुंह गिर गए।
कृषि मंडी व्यापार संघ के पूर्व सचिव चेतन पटेल ने बताया कि वर्ष 2023 में जीरा 21 हजार रुपए प्रति क्विंटल से शुरू होकर 60 हजार तक पहुंचा था, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिला। इसी उम्मीद में इस बार बड़े पैमाने पर बुवाई की गई। लेकिन वर्ष 2024 में शुरुआत में जीरा 25 से 30 हजार तक बिका और अब यह गिरकर 17-18 हजार पर आ गया है। व्यापारी रामचंद्र कुमावत ने बताया कि निर्यात और घरेलू खपत में कमी के कारण जीरे की मांग घटी है। बाजार में खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जिससे व्यापारी भी माल उठाने से बच रहे हैं।
जानकारों के अनुसार खाड़ी और यूरोपीय देशों में जीरे की परंपरागत मांग रही है। लेकिन हाल के वर्षों में सूडान, सीरिया जैसे देश वहां जीरे की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे भारतीय जीरे की मांग में भारी गिरावट आई है। औषधीय उपयोग में आने वाला जीरा अब वहां से सस्ता मिल रहा है, जिससे भारत का निर्यात घटा है।
प्रगतिशील किसान बाबूलाल राठौड़ ने बताया कि इस बार अच्छी आमदनी की उम्मीद में किसानों ने बीज से लेकर दवाइयों तक महंगे संसाधनों पर खर्च किया, लेकिन भाव नहीं मिलने से वे कर्ज में डूब गए हैं। कई किसान तो बच्चों की पढ़ाई और घर का राशन भी उधार से चला रहे हैं।
कृषि उपज मंडी अध्यक्ष महावीरचंद भंडारी ने कहा कि जीरे के लगातार गिरते भाव से किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं। किसान मंडियों में बड़ी उम्मीद से माल लाते हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। स्टॉकिस्टों की हालत भी खराब है, क्योंकि माल रुका पड़ा है और कीमतें गिरती जा रही हैं।