जोधपुर

जोधपुर के ग्वार गम उद्योग का गड़बड़ाया गणित, कभी 25 हजार को देता था रोजगार, अब ले रहा अंतिम सांसें

Jodhpur Guar Gum Industry : कभी जोधपुर की पहचान रहा ग्वारगम उद्योग आज संकट के दौर से गुजर रहा है। पढ़ें एक रिपोर्ट।

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ग्वार गम उद्योग। फोटो पत्रिका

अविनाश केवलिया
Jodhpur Guar Gum Industry :
कभी जोधपुर की पहचान रहा ग्वारगम उद्योग आज संकट के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 1995 से लेकर 2012 तक यह उद्योग न केवल जोधपुर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानचित्र पर भी शहर को शीर्ष पर लाकर खड़ा किया। ग्वारगम का इस्तेमाल मुख्य रूप से खाद्य प्रसंस्करण, ऑयल ड्रिलिंग, फार्मास्युटिकल्स और पेपर इंडस्ट्री में होता है। एक समय ऐसा था, जब जोधपुर से विश्व के कुल ग्वारगम एक्सपोर्ट का 80 प्रतिशत हिस्सा भेजा जाता था, लेकिन अब 90 प्रतिशत काम बंद हो गया।

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सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला उद्योग

वर्ष 2009 से 2012 के बीच ग्वारगम के दाम 1200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। एक साल में छह लाख मीट्रिक टन निर्यात होता था और तीन साल यह उद्योग सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला रहा, लेकिन इसके बाद पिछले 13 साल में यह उद्योग लगातार ढलान पर है। अब भाव भी 120 रुपए प्रति किलो तक है और हजारों लोगों का रोजगार छिन गया है। एक्सपोर्ट भी अब महज आधा ही रह गया है।

फैक्ट फाइल। फोटो पत्रिका

यहां भी उद्योग

जोधपुर के साथ ही बाड़मेर, बीकानेर, नोखा, राजगढ़, जैसलमेर, मेड़ता में भी ऐसे ही उद्योग थे। इनकी संख्या पूरे राजस्थान में 250 के करीब थी जो अब घट कर 35-40 रह गई है।

श्रेयांस मेहता, पूर्व सचिव, राजस्थान ग्वारदाल मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन व एस.के शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, एमआइए। फोटो पत्रिका

क्यों गिरा एक्सपोर्ट

1- एनसीडीएक्स में शामिल किए जाने से इसके भाव में अत्यधिक अस्थिरता आई, जिससे उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ा।
2- कच्चे माल की उपलब्धता कम हुई, क्योंकि मंडी भाव में अंतर के कारण किसान अपना माल गुजरात में बेचने लगे।
3- विश्वभर में ग्वार का उपयोग पेट्रोलियम इंडस्ट्री व ड्रिलिंग उद्योग में ज्यादा होता था, लेकिन दूसरे विकल्प आने के कारण अमरीका व अन्य देशों में इनकी डिमांड घट गई।

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Updated on:
24 Jul 2025 11:01 am
Published on:
24 Jul 2025 11:00 am
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