जोधपुर की एससी-एसटी अत्याचार निवारण विशेष कोर्ट ने 13 साल पुराने मामले में 16 आरोपियों को सात-सात साल कैद की सजा सुनाई है। ये आरोपी 31 जनवरी 2012 को ओसियां उपखंड के पड़सला गांव में दलित बस्ती पर हमला करने, आगजनी, तोड़फोड़ और फायरिंग करने के दोषी पाए गए।
जोधपुर: एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) विशेष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 16 आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। ये आरोपी 13 साल पहले ओसियां कस्बे के पास पड़सला गांव में दलित बस्ती पर हमला करने, आगजनी, फायरिंग और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दोषी पाए गए।
पुलिस ने इस मामले में कुल 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी, जिनमें से तीन की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। शेष 16 आरोपियों को दोषी मानते हुए अदालत ने सजा सुनाई।
विशेष न्यायाधीश गरिमा सौदा ने फैसला सुनाते हुए कहा, सजा हमेशा अपराध की गंभीरता के अनुपात में होनी चाहिए, और यह धर्म, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर तय नहीं हो सकती। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भूमि विवाद से संबंधित मामला पहले से ही सिविल कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
मामला 31 जनवरी 2012 की रात का है। पीड़ित पक्ष ने अपनी शिकायत में बताया कि करीब दो दर्जन लोग तीन वाहनों में आए और उनकी झोपड़ियों को तोड़फोड़ कर आग लगा दी। इस दौरान उन्हें बेरहमी से पीटा गया और फायरिंग भी की गई। आरोपियों ने दलित समुदाय के लोगों पर उनकी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए हमला किया था।
पुलिस ने जांच के बाद पर्याप्त सबूत जुटाकर आरोपियों के खिलाफ अदालत में मजबूत केस पेश किया, जिसके आधार पर सभी दोषी करार दिए गए। अदालत के इस फैसले को दलित समुदाय ने न्याय की दिशा में अहम कदम बताया है।