कन्नौज

पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव से पूछा, उनके पिता का अंतिम संस्कार पैर के अंगूठे से हुआ?

Former MP Subrat Pathak big attack on Akhilesh कन्नौज में सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव पर एक के बाद एक कई हमले किए। बोले- दक्षिण से आए पंडितों ने अंतिम संस्कार क्या पैर के अंगूठे से कराये थे? यह भी कहा कि अब ना तो मजार पर जाते हैं और ना ही जालीदार टोपी पहनते हैं।

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Mar 24, 2025

Former MP Subrat Pathak big attack on AkhileshYadav कन्नौज के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ऑस्ट्रेलिया से इतिहास पढ़ कर आए हैं। क्या हिंदू महापुरुषों का अपमान करना ही उनका काम रह गया है? उन्होंने मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार के विषय में भी पूछा है। इसके पहले सुब्रत पाठक जालीदार और लाल टोपी पर भी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि जालीदार टोपी पहनाना ना पड़े इसलिए लाल टोपी उतरी नहीं जाती है। ‌सबको एक दिन सनातन के झंडे के नीचे आना पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश के कन्नौज के पूर्व भाजपा सांसद सुब्रत पाठक अखिलेश यादव के उसे बयान पर प्रक्रिया दे रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि पंडितों ने छत्रपति शिवाजी महाराज का राजतिलक उल्टे पैर के अंगूठे से किया था। अखिलेश यादव यह इतिहास क्या ऑस्ट्रेलिया से पढ़ कर आए हैं। अपने पिता मुलायम सिंह यादव के निधन पर अंतिम संस्कार के लिए दक्षिण भारत से ब्राह्मण बुलाए गए थे। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि क्या उनका अंतिम संस्कार में पूजा की प्रक्रिया उल्टे पैर या अंगूठे से किया गया है।

अखिलेश-डिंपल पूजा नहीं करते थे

इसके पहले सुब्रत पाठक अटल स्मृति में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कन्नौज में विशाल यज्ञ हो रहा है। जिसमें सपा कार्यकर्ता चर्चा कर रहे थे कि अखिलेश यादव भी आ रहे हैं।‌ इस पर उन्होंने कहा कि चलो कन्नौज ने उन्हें सनातनी तो बना दिया। पहले कहा करते थे कि वह और डिंपल पूजा नहीं करती हैं। चिढ़ाया करते थे।

अब जालीदार टोपी नहीं पहना

मुख्यमंत्री रहने के दौरान जालीदार टोपी पहनकर रोज अवतार करते थे। मजार पर जाकर चद्दर चढ़ाते थे। लेकिन जब हमारे विचार मजबूत हुआ तो जालीदार टोपी लगाना भूल गए। जालीदार टोपी पहनना ना पड़े इसलिए लाल टोपी उतारते नहीं है। अब ना बाजार में जाते हैं ना उर्स में आते हैं। लेकिन अब बिना बुलाए यज्ञ में आ रहे हैं। यही सनातन की ताकत है। आज धीरे-धीरे सभी भगवा के नीचे आ रहे हैं और आना ही पड़ेगा। ‌

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