कटनी

शारदेय नवरात्र विशेष: बांस के जंगल से प्रकट हुईं मां जालपा, दर्शनों के लिए उमेडग़ा सैलाब

260 वर्षों से बरस रही कृपा, शहर के प्रमुख शक्तिपीठ में उमड़ेगी आस्था का सैलाब, होते हैं विशेष आयोजन

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Sep 22, 2025
Jalpa Temple Katni Special Story

कटनी. शक्ति की उपासना के महापर्व नवरात्र का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर के प्रमुख शक्तिपीठ मां जालपा मंदिर में भोर से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। भक्तों का मानना है कि मां जालपा न केवल शहर को हर संकट से बचाती हैं बल्कि उनकी हर मनोकामना भी पूरी करती हैं। मां जालपा मंदिर लगभग 260 वर्षों से भक्तों की आस्था का केंद्र है। मंदिर में नवरात्रि के समय विशेष सजावट और भव्य वातावरण देखने योग्य होता है। मंदिर के पुजारी लालजी पंडा के अनुसार, यह स्थान पहले घने बांस के जंगल से घिरा हुआ था। उनके पूर्वजों को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए, जिसके बाद यह स्थान पहचाना गया और मां जालपा प्रकट हुईं।

स्थापना और मंदिर का इतिहास

मंदिर की स्थापना 1766 में रीवा जिले के बिहारीलाल पंडा द्वारा की गई थी। माता के आदेश पर बिहारीलाल पंडा कटनी आकर बांस के जंगल में माता की सेवा करने लगे। मां जालपा की कृपा से शहर का विकास हुआ और एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर में अखंड ज्योत, कलश और जवारे भक्तों का विशेष आकर्षण बने हुए हैं। मां जालपा की प्रतिमा सिल के आकार की है, जो मां ज्वाला के रूप को दर्शाती है।

64 योगनियों और मंदिर का जीर्णोद्धार

2012 में मंदिर का विशेष जीर्णोद्धार किया गया और पट्टाभिरामाचार्य महाराज के सानिध्य में मंदिर में 64 योगनियों की स्थापना भी कराई गई। मंदिर परिसर में हनुमानजी और भैरव बाबा की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। आज लालजी पंडा और उनके पुत्र माता की सेवा कर रहे हैं, जो पुजारी बिहारीलाल पंडा की पांचवीं पीढ़ी के सदस्य हैं। भक्तों में मान्यता है कि मां जालपा और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन करने से जन्मजन्मांतर के पाप दूर हो जाते हैं। नवरात्र के नौ दिनों में श्रद्धालु माता की पूजा-अर्चना कर जीवन में शक्ति, संकल्प और सफलता प्राप्त करते हैं। यह पर्व न केवल भक्ति का है बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।

Published on:
22 Sept 2025 07:26 am
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