कटनी

जिले में 310 मुख्य व गौड़ खनिज की खदानें, 140 अब तक स्वीकृति का इंतजार

Katni mines are not getting approval

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Mar 04, 2025
Katni mines are not getting approval

170 खदानों का ही हो रहा संचालन, खनिज विभाग, मुख्यालय व प्रशासन के अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान, जिले में माईनिंग में अपार संभावनाएं, फिर भी हो रही अनदेखी, पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने, रिन्यूवल न होने से है समस्या

कटनी. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार शाम कटनी पहुंचने के दौरान कलेक्ट्रेट में उद्योग कारोबारियों की बैठक में इस बात पर जोर दिया है कि कटनी में माइनिंग के क्षेत्र में अपार संभावनाए हैं, लेकिन जिले के हालात ऐसे हैं कि लगभग डेढ़ सैकड़ा मुख्य व गौड़ खनिज की खदानें बंद पड़ी हैं। कई साल से स्वीकृति के इंतजार में हैं। इसका सीधा असर सरकार के राजस्व खजाने पर तो पड़ ही रहा है साथ ही उद्योग-कारोबार न बढऩे से विकास में जिला पिछड़ा हुआ है।
जानकारी के अनुसार जिले में 310 मुख्य व गौड़ खनिज की खदानें हैं। इनमें से वर्तमान में चालू हालत में सिर्फ 170 खदानें ही हैं। शेष 140 को अबतक स्वीकृति का इंतजार है। अकेले जिले में 30 से अधिक खदानें डोलोमाइट की संचालित हो रही हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र में जिसका विस्तार होने से जिला देश के नक्शे में अलग पहचान बना सकता है। जिले में कई वर्षों से माइनिंग कॉलेज की भी मांग उठ रही है। माइनिंग के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं छिपी हुई हैं, आवश्यकता है इस क्षेत्र में काम कराए जाने की।

यह बताई जा रही है वजह
अबतक कई साल में खदानों के शुरू न हो पाने की मुख्य वजह समय से पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलना, खनिज विभाग से अनुमति न मिलना व शासन स्तर से स्वीकृति आदि का पेंच फंसा हुआ है। कुछ खदानों में आपत्तियों का समय पर निराकरण न हो पाना भी मुख्य कारण बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि लगभग डेढ़ साल तक सिया के गठन न होने के कारण भी देरी हुई है।

डोलामाइट की खदानें से सकती हैं बड़ा बूस्टर
जिले में यदि डोलोमाइट की खदानों को स्वीकृति व उचित माहौल दिया जाए तो जिले में विकास को बड़ा बूस्टर दे सकती हैं। जिल में 30 खदानें तो चल ही रहीं हैं, साथ ही 10 और बड़े ब्लॉक होना है। अभी यहां के डोलोमाइट इंडस्ट्रीज में 200 गुना पिसाई होती है। जब इसकी पिसाई एक हजार गुना होने लगेगी की तो इसकी कीमत को बढ़ेगी ही साथ ही इसकी सप्लाई सौंदर्य प्रसाधन और दवा के क्षेत्र में बढऩे से जिले को बड़ा फायदा होगा। हालांकि विभाग द्वारा शीघ्र ही इस दिशा में पहल किए जाने की बात कही जा रही है।

जिले में यह है राजस्व की स्थिति
जिले में रेत सहित मुख्य व गौड़ खनिजों की खदानों से बड़ी मात्रा में रायल्टी प्राप्त होती है। सरकार का खजाना राजस्व से भर रहा है। रेत से सरकार को हर साल 70 करोड़ रुपए व मुख्य व गौड़ खनिजों से 165 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो रही है।

यह है खदानों की स्थिति

  • 32 डोलामाइट
  • 35 मार्बल
  • 75 पत्थर, मुरम, मिट्टी
  • 55 मुख्य खनिज
  • 130 करोड़ मिला राजस्व

जिले में इन खजिनों की है बहुतायत
जिले में कई प्रकार का खनिज पाया जा रहा है। जिले के दो स्थान इमलिया, सैलारपुर नवलिया में सोना व टिकरिया आदि क्षेत्र में बेशकीमती धातुओं की खोज के साथ यहां पर डोलोमाइट, लाइम स्टोन, मार्बल, गिट्टी, लेटराइट, बॉक्साइड की बहुतायत है। इसके अलावा ढीमरखेड़ा क्षेत्र के एक स्थान पर मैग्नीज की भी खदन है।

जिम्मेदारों को देना होगा ध्यान
शहर व जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों सांसद, विधायक आदि को शहर व जिले के विकास पर एकजुट होकर आगे आना होगा। माइनिंग के क्षेत्र में निवेशकों को बढ़ावा देने, बंद खदानों को चालू कराने, जिले से निकलने वाले खनिज से निर्माण की जाने वाले उत्पाद के प्लांटों की स्थापना आदि के लिए सक्रिय पहल करनी होगी। डोलोमाइट, लाइम स्टोन, लेटराइट, बॉक्साइट आदि से तैयार होने वाली सामग्री की इंडस्ट्रियां लगने से जिले में विकास तेज गति ने नए आयाम मिलेंगे।

वर्जन
जिले की बंद खदानों को चालू कराने, निवेशकों को प्रोत्साहित करने आदि के लिए सक्रिय पहल की जाएगी, ताकि जिले में खनिजों से संबंधित प्लांट स्थापित हों। जिले में डोलोमाइट के 10 ब्लॉकों को लेकर बेहतर काम किया जाएगा। इसकी योजना बनाई जा रही है।
रत्नेश दीक्षित, जिला खनिज अधिकारी।

Published on:
04 Mar 2025 09:07 pm
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